लघुकथा के छोटे कलेवर में भी सकारात्मक दृष्टि रखती है गार्गी रॉय : : सिद्धेश्वर
पटना : 21/04/25 l अत्याचार,भ्रष्टाचार, बलात्कार,हिंसा पुलिस की हैवानियत, दान - दहेज आदि इस तरह के ढेर सारे विषय लघुकथा के केंद्र में रहे हैं l इसमें कोई शक नहीं कि ये सारी विसंगतियां व्यक्ति और समाज की देन है l और लघुकथा हो या साहित्य की कोई भी अन्य विधा, विसंगतियों पर प्रहार करना उसका पहला धर्म है l और इस धर्म को निभाने में साहित्यकारों ने कोई कसर नहीं छोड़ा है। विषय एक होते हैं लेकिन उसे देखने की दृष्टि, प्रत्येक रचनाकार की, अलग-अलग होती है l लगभग एक तथ्य पर होते हुए भी ढेर सारी रचनाएँ अलग-अलग मौलिक चिंतन लिए हुए होती है l संवाद अदायगी और प्रस्तुति का ढंग रचना को मौलिक बनाती है l आज के अधिकांश कवि हो या फिर लघुकथाकार यहीं पर चूक जा रहे हैं, और फिर उनकी रचना अच्छी होते हुए भी बोझिल प्रतीत होती है l मुझे प्रसन्नता है कि युवा रचनाकारों के बीच, गार्गी रॉय अपनी मौलिक पहचान लेकर उभर रही हैं l यथार्थवादी सच्चाई की वह जीवंत लेखिका है l
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्ववधान में गूगल मीट के माध्यम से फेसबुक के अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका के पेज पर, " अप्रैल माह का हेलो फेसबुक लघुकथा सम्मेलन का संचालन करते हुए संयोजक सिद्धेश्वर ने उपरोक्त उद्गार व्यक्त किये l
अपने अध्यक्षीय टिप्पणी में लेखिका गार्गी राय ने कहा कि लघुकथा से संदर्भित सिद्धेश्वर की सारगर्भित डायरी के पश्चात,सर्वप्रथम गोष्ठी के मुख्य अतिथि योगराज प्रभाकर से लघुकथा ‘अनसुना-गीत ‘सुनने का मौक़ा मिला जिसमें आज की मरती संवेदना का वर्णन है।शीर्षक से लेकर पंचलाइन तक सबकुछ उम्दा । सुधा पांडे जी की लघुकथा जिसका शीर्षक है ‘खाली दिमाग़ शैतान का ‘जो मुहावरे पर आधारित है।
नलिनी श्रीवास्तव जी की लघुकथा ‘नया कलेवर ‘है जिसमें दो निर्जीवों की आपसी संवाद है और ये अंत में पता चलता है और किताबों के महत्व को बताते हुए लैपटॉप में सभी सुरक्षित होने की बात कही है।
निर्मल कुमार दे की ‘पहली-पगार’ है जिसमें उन्होंने बेटा ही नही बेटी भी अपने माता-पिता को पहली पगार दे सकती है का चित्रण है । एक प्रेरित करती लघुकथा है ।
वर्षा-अग्रवाल जी की लघुकथा ‘निर्णय ‘है जिसमें लघुकथा पुरानी होते हुए भी नई कलेवर के साथ प्रस्तुत की गई है।
ऋचा वर्मा की लघुकथा ‘पेंशन ‘में एक लालची बेटे और माँ का मार्मिक चित्रण है ।माँ का अंतिम संवाद “अउर बेटवा तो अईबे करेगा...गहूँ तैयार होने के बाद "मर्म स्पर्शी है ।
आदरणीय बालेश्वर गुप्ता जी की लघुकथा ‘घर की मालकिन ‘ नए विषय पर आधारित है।जिसमें बहू को घर की मालकिन समझने की बात कही गई है जो निःसंदेह समाज में एक आदर्श प्रस्तुत करेगा लेकिन वर्तनी,कोमा,इन्वर्टेड कोमा का विशेष ध्यान देना होगा
रश्मि लहर जी की ‘विश्वास ‘एक नेत्रहीन पति और उसकी कामयाब पत्नी की है जो अपनी पत्नी पर शक नही करता बल्कि विश्वास करता है ।बहुत छोटी परंतु सार्थक लघुकथा है ।
राजप्रिया रानी की लघुकथा ‘चालान ‘ में कथानक का चुनाव अच्छा है l"
अपने पटल पर हर बार एक वरिष्ठ साहित्यकार को मुख्य अतिथि के रूप में पेश कर सिद्धेश्वर जी नवोदित साहित्यकारों के लिए बहुत बड़ा कार्य कर रहे हैं उन्हे साधुवाद है।
हेलो फेसबुक लघुकथा सम्मेलन में ऑनलाइन लघुकथा पाठ करने वाले के अतिरिक्त अन्य कवियों में प्रमुख थे - विज्ञान व्रत , हजारी सिंह, इंदु उपाध्याय, पदमज़ा शर्मा, श्रीकांत, नवनीत,सुनील कुमार उपाध्याय पूनम वर्षा संजय राय जिज्ञासा संजय कुमार आदि गरिमामयी उपस्थिति रही l
आदि l
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प्रस्तुति : बीना गुप्ता जन संपर्क पदाधिकारी /भारतीय युवा साहित्यकार परिषद / पटना / बिहार /
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