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7/21/25

पढ़िए पूर्णिया जिला के बनमनखी स्थित बाबा धीमेश्वर नाथ महादेव मंदिर के इतिहास के बारे में

पढ़िए पूर्णिया जिला के बनमनखी स्थित बाबा धीमेश्वर नाथ महादेव मंदिर के इतिहास के बारे में 


बनमनखी के धीमा ग्राम में भगवान महादेव को समर्पित मंदिर है जिन्हें स्थानीय ग्रामीण बाबा धीमेश्वर नाथ कहते हैं । इस मंदिर में पूजापाठ और दर्शन के लिए लोग पूर्णिया ही नही बल्कि अलग अलग जिलों से आते है । खासकर एक मान्यता है कि कटिहार के मनिहारी गंगा घाट से जल लेकर कांवरिये बनमनखी आकर धीमेश्वर धाम में जलाभिषेक करते है उनकी सारी मनोकामना महादेव पूर्ण करते हैं जिस कारण आज भी इस परंपरा को हजारों श्रद्धालु निभा रहे हैं । स्थानीय लोगों का भी ऐसा मानना है कि यहां जलाभिषेक करने से उनकी दिल से मांगी मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं । यही कारण है कि धीमा में भगवान महादेव पर जलाभिषेक करने लोग दूर दूर से आते हैं ।



धीमा शिव मंदिर का रहा है पुराण इतिहास 

पुराने समय मे यह जगह पूरी तरह से जंगलों से भरा हुआ था । आज भी मंदिर के चारों तरफ आपको बहुत कम ही घर मिलेंगे । यहां आसपास की अधिकांश जमीन पर खेतीबाड़ी होती है । बहुत पहले खेतीबाड़ी करने के दौरान एक किसान का कुदाल किसी चीज़ से टकराया जिससे तेज ध्वनि उत्पन्न हुई जिसके बाद खोदने पर वहां शिवलिंग प्राप्त हुई थी तभी से इस आपरूपी शिवलिंग की मंदिर में स्थापना की गई । शुरुवात में एक झोपड़ीनुमा मंदिर में इस शिवलिंग की स्थापना की गई थी । बाद में स्थानीय बुजुर्ग शिवभक्त बाबा प्रताप झा द्वारा आमजनों के सहयोग से मंदिर निर्माण किया गया जो आज पूर्णिया प्रमंडल के लोगों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है ।


वर्ष 2018 में धीमा शिव मंदिर मेला को श्रावणी महोत्सव में बिहार सरकार द्वारा किया गया शामिल 


धीमा मंदिर की बढ़ती लोकप्रियता के कारण यहां एक माह तक सरकारी खर्च पर श्रावणी मेला का आयोजन किया जाता हैं । यहां शिवभक्तों के लिए मेला का इंतेजाम के साथ साथ उनके ठहरने की भी व्यवस्था की जाती है । इन्हीं कारणों से हाल में यहां पर पूजा करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ी है।


मंदिर तक पहुँचने में क्या है परेशानी 

अगर पूर्णिया के तरफ से लोग धीमा मंदिर जाते हैं तो कई वर्षों से बन रही सड़क मार्ग का कार्य अभी तक पूरा नही हुआ है जिस कारण से रास्ते मे जगह जगह पर जलजमाव की स्थिति सामान्य बात है । वैसे भक्तों को ज्यादा परेशानी होती हैं जो नंगे पांव जलाभिषेक करने आते हैं ।


वहीं दूसरी तरफ बनमनखी बाजार के तरफ से धीमा आते हैं तो रास्ते में सड़क किनारे ही मछली , मुर्गा और मांस बेचा जाता है जिसके अवशेष सड़को पर देखने को मिल जाती हैं ऐसे में स्थानीय लोगों ने इसका विरोध जताया है और सावन भर के लिए इसे बंद करने या दूसरे जगह शिफ्ट करने की मांग की है ।


राजा कुमार,

साहित्य आजकल टीम ।


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