7/23/25

आखिरकार नए बड़े चेहरे जनसुराज से ही क्यों जुड़ रहे हैं

 आखिरकार नए बड़े चेहरे जनसुराज से ही क्यों जुड़ रहे हैं ?



बिहार में चुनाव का बिगुल सभी राजनीतिक दलों ने फंक दिया है । ऐसे में सभी दलों में तेजी से लोग जुड़ते और निकलते नजर आ रहे हैं । बिहार के दो बड़े गठबंधन NDA और INDIA गठबंधन के बीच ही बिहार की राजनीति घूमती हुई हमेशा नजर आती हैं । इन सबके बावजूद दिलचस्प बात जनसुराज पार्टी में देखने को मिल रही है । हर दल में जो लोग जुड़ रहे हैं वो पहले किसी न किसी दल में रह चुके हैं लेकिन प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी में जुड़ने वाले का तादाद को जब आप देखेंगे तो पता चलेगा कि दूसरे दल से आए हुए लोग तो जुड़ ही रहे हैं मगर ऐसे लोग भी जुड़ते जा रहे हैं जो जीवन मे कभी भी राजनीति से उनका कोई सरोकार नहीं रहा है । 


चाहे बात बड़े अफसरों की हो या इंजीनियरों की , डॉक्टर हो या समाजसेवी , सिंगर हो या कलाकार , बुसिनेसमैन हो या आम आदमी , महिला हो या युवा , ऑटोवाला हो या स्कोर्पियो वाला , पंडित हो या मौलवी , हर वर्ग हर जाति हर समुदाय के लोग लगातार प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी से जुड़ते जा रहे हैं ।



जब भी कोई इंसान धन संपत्ति अच्छा खासा कमा लेता है तो उसकी पहली पसंद सत्तारूढ़ दल से या मजबूत विपक्षी दल स जुड़ना होता है ताकि उसे हर प्रकार की सुरक्षा मिल सके जबकि प्रशांत किशोर से लोग इन सबके बावजूद लगातार जुड़ते जा रहे हैं । 


ऐसे में सवाल सबके मन में है कि जनसुराज नए लोगों की पहली पसंद कैसे बनती जा रही हैं ?


इसे समझने के लिए 3 साल पहले चलते हैं जब जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने पैदल यात्रा शुरू की थी । उस पैदल यात्रा में प्रशांत किशोर को कोई बड़ी उपलब्धि नही मिली लेकिन गाँव गाँव में प्रशांत के नए विज़न वाले राजनीति की चर्चा पूरे बिहार में फैल गई । जनसुराज ने जाति आधारित राजनीति के जगह बिहार के विकास वाली राजनीति को चुना । प्रशांत किशोर ने शिक्षा , स्वास्थ्य , पलायन , बेरोजगारी जैसे मुद्दों को प्रमुखता से हर जगह उठाया । वही बात प्रशांत किशोर के व्यक्तित्व की करे तो उन्होंने आजतक कभी चुनाव नही लड़ा है जिस वजह से वे किसी भी राजनीतिक दल को आसानी से निशाना बना लेते हैं । 


पूर्व में प्रशांत किशोर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व लालू यादव और नीतिश कुमार , केजरीवाल , ममता बनर्जी समेत 12 मुख्यमंत्री को चुनाव जीताने में अहम भूमिका निभाई । इन सब का नतीजा रहा कि जितने भी नए लोगों का राजनीति में आने का मन हुआ वो प्रशांत किशोर की जनसुराज की तरफ उनका झुकाव बाकी राजनीतिक दलों की अपेक्षा काफी ज्यादा रहा । जनसुराज के नेताओं के अनुसार तो अभी कई मशहूर हस्तियों के जनसुराज में आना बाकी है । ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि इसबार बिहार चुनाव पहले की तरह NDA और INDIA के ईद गिर्द घूमती है या जनसुराज कोई कमाल कर पाती हैं ।


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