कवि– हरे कृष्ण प्रकाश
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प्रकाशित तिथि - 25/02/25
©®- Sahitya Aajkal
संपर्क :- sahityaaajkal9@gmail.com
Poem Published On- www.sahityaaajkal.com
Sahitya Aajkal
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2/25/25
बिहार मांगे डोमिसाइल (कविता ) -- हरे कृष्ण प्रकाश

2/14/25
टूट गया है एक तिनका (हिंदी कविता ):- अनुराग
टूट गया है एक तिनका उम्मीदों के पेड़ से
गिर गए कुछ अरमान बिखर कर टहनीयों से
पेड़ सलामत है मगर एक सूनापन हैकिनारा है मगर गीली है मिट्टी, लहरों से!
मन मार कर बैठा है आज एक सिकन्दरछोटी सी चूक सेलग रहा है खत्म हो रहा है एक ज़मानाउसी एक छोटी सी भूल से
रूठ कर, भूल कर यू ही बैठा है खुद सेअंधेरा कितना घना होगा ,तय होगा चांदनी की चमक से
माना ये मौसम है उदासी का पतझड़ सेमगर होगी फिर हरियाली,बस कोशिशों की बरसाती सावन से।।
अनुराग
( उत्तरप्रदेश )
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धन्यवाद :- साहित्य आजकल टीम

2/9/25
बीपीएससी शिक्षक भर्ती चौथे चरण में डोमिसाइल लागू को ले चला अभियान, कुछ ही घंटों में हुआ ट्रेंड!
बीपीएससी शिक्षक भर्ती चौथे चरण में डोमिसाइल लागू को ले एक्स प्लेटफार्म पर चला अभियान, कुछ ही घंटों में हुआ ट्रेंड!
बीपीएससी शिक्षक भर्ती चौथे चरण में डोमिसाइल लागू
को ले चला अभियान, कुछ ही घंटों में हुआ ट्रेंड
बिहार में बड़े ही व्यापाक पैमान पर शिक्षक बहाली की चौथी चरण आयोजित होने वाली है। इसमें रिक्तियों की संख्या भी अच्छी खासी रहने की संभावनायें हैं! वहीं शिक्षक अभ्यर्थीयों ने सरकार से पुनः डोमिसाइल नीति लागू करने को लेकर सोशल मिडिया के एक्स प्लेटफार्म पर अभियान चलाया। इस अभियान में हजारों बिहार के युवाओं ने सरकार से डोमिसाइल नीति पुनः लागू करने की मांग करते खूब ट्वीट किया। जिसके परिणामस्वरूप कुछ ही घंटो में डोमिसाइल मुद्दा ट्रेंड करने लगा।
यू तो बिहार सरकार लाखों की संख्या में बहाली निकाल रही है किन्तु यह देखा जा रहा है कि शिक्षक बहाली में काफी संख्या में बाहरी राज्य के लोग चयनित होकर शिक्षक बन गए हैं! अभ्यर्थीयों का कहना है कि सरकार कहती कुछ है और करती कुछ है।
वहीं डोमिसाइल नीति लागू को ले अभियान में हुए हजारों ट्वीट में सरकार से "डोमिसाइल नहीं तो वोट नहीं" लिख कर पोस्ट किया ha रहा है। एक अभ्यर्थी हरे कृष्ण प्रकाश लिखते हैं कि बिहार बीपीएससी शिक्षक बहाली में कई प्रकार से गड़बड़ी हुई है जैसे आरक्षित वर्गों में भी बाहर के राज्यों से अभ्यर्थीयों का चयन होने का खुलासा आरटीआई के माध्यम से हुआ है, जो कि नियमानुसार सही नहीं है! सरकार बिहार के अभ्यर्थीयों से वोट लेती है तो नौकरी में पहली प्राथमिकता भी बिहारियों को मिलनी चाहिए! वहीं अभ्यर्थी रौशन कुमार लिखते हैं कि वोट दे बिहारी नौकरी करे बाहरी ये खेल नहीं चलेगा! डोमिसाइल नहीं होने से कई लोग फर्जीवाड़ा करने का काम किया है।
वहीं एक शिक्षक अभ्यर्थी अभय कुमार लिखते हैं कि कई राज्यों में जब बहाली आती है तो उन तमामा राज्यों में किसी न किसी प्रकार से डोमिसाइल नीति लागू रहती है तो फिर बिहार में क्यों सरकार इस तरह कर रही है। हम बिहार के बच्चों के साथ ये अन्याय हो रहा है। अतः डोमिसाइल नीति लागू करे!
अभ्यर्थी सत्यम कुमार सरकार से सवाल करते हुए लिखते हैं कि जब उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी विपक्ष में थे तभी डोमिसाइल की मांग करते थे परन्तु आज उपमुख्यमंत्री बन गए हैं तो डोमिसाइल क्यों नहीं लागू करते हैं आखिर मौन क्यों हैं? क्यों अभ्यर्थीयों के साथ अन्याय कर रहे हैं? कौशल चौधरी, सन्नी सिंह, जूही कुमारी, सतीश कुमार, निक्की चौधरी, समर, अभय चौधरी, अफजल खान, सहमून आजमी, श्मस तबरेज, विकास सिँह, ऋषिका शर्मा, सुभास कुमार सुचिता चौहान व हजारों अभ्यर्थी लिखते हैं कि बिहार के अभ्यर्थी दर दर की ठोकरें खा रहे हैं और मुख्यमंत्री साहब बाहरी राज्य के लोगों को नियुक्ति पत्र बाँट रहे हैं, ये कहाँ का न्याय है! नियमों को ताक पर रख शिक्षक बहाली में नियुक्ति हो रही है।
डोमिसाइल नहीं रहने की वजह से हजारों फर्जी बीपीएससी शिक्षक बहाल हो गए और दो वर्ष के बाद भी अब तक पकड़े जा रहे हैं सेवामुक्त भी हो रहे हैं। इससे हम बिहार के अभ्यर्थीयों का जीवन बर्बाद हुआ है। जब वोट हम बिहार की जनता देंगे तो शिक्षक बहाली की नियुक्ति पर पहला हक़ हम अभ्यर्थीयों का होना चाहिए! अतः सरकार बीपीएससी शिक्षक बहाली के चौथे चरण में डोमिसाइल लागू कर बिहार के युवाओं के साथ न्याय करे अन्यथा डोमिसाइल नहीं तो वोट नहीं देंगे!

1/28/25
किसे पता है? (हिंदी कविता) -Akhilesh Umrao 'Akhi'
लोकप्रिय साहित्यिक मंच साहित्य आजकल से आज के अंक में प्रकाशित रचना उत्तरप्रदेश फतेहपुर के अखिलेश उमराव द्वारा बेहतरीन स्वरचित कविता "किसे पता है " पढ़ते हैं। आज के तमाम युवाओं को इन पंक्तियों के भाव को आत्मासात करना चाहिए! इस कविता लिंक को जन जन तक शेयर करना न भूलें।
किसे पता है? (हिंदी कविता) -Akhilesh Umrao 'Akhi'
शीर्षक:- किसे पता है?
बंद दिलों के राज, किसे पता है?
टूटे दिलों की बात, किसे पता है?
दीवानगी का प्यार, किसे पता है?
प्यार का मान, किसे पता है?
सब कहते हैं साथ है,
कितने है साथ, किसे पता है? ।।1।।
जिंदगी के राज, किसे पता है?
कामयाबी की डगर, किसे पता है?
अपना भविष्य, किसे पता है?
मौजूदगी की वैल्यू, किसे पता है?
भावी हमसफर, किसे पता है?
कितने हैं साथ, किसे पता है?।।2।।
संघर्ष की रातें, किसे पता है?
जंगल के राज, किसे पता है?
मौसम के राज, किसे पता है।
खुशी के राज, किसे पता है?
दुःख की रातें, किसे पता है?
कितने हैं साथ, किसे पता है?
जिंदगी के राज, हमें खुद पता होंगे ।।3।।
-: सृजनकार :-
Akhilesh Umrao 'Akhi.'
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1/16/25
जातिवाद एक मिथ्या (हिंदी कविता) - Saloni yadav
लोकप्रिय साहित्यिक मंच साहित्य आजकल से आज के अंक में प्रकाशित उत्तरप्रदेश की सलोनी यादव द्वारा समाज को जागृत करती हुई बेहतरीन स्वरचित कविता "जातिवाद एक मिथ्या " पढ़ते हैं और आज के तमाम युवाओं को इन पंक्तियों के भाव को आत्मासात करना चाहिए! इस कविता लिंक को जन जन तक शेयर करना न भूलें।
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जातिवाद (एक मिथ्या) - Saloni Yadav
सबको है अपनी ही जाति की शान
समाज में लोग इसी से हैं परेशान
बड़ा वही जिसके पास है विद्या
इसीलिये जातिवाद है एक मिथ्या
ऋग्वेद में जाति निर्धारित होता था कर्म से
तब लोग नहीं होते थे विचलित अपने धर्म से
अब छोड़ दो बड़ा छोटा का भेदभाव
यही ला सक्ता है एक सक्रात्मक प्रभाव
आज समाज में जातिवाद ने मचाया है हड़कंप
लोगो में आपसी दुश्मनी बढ़ेगी जब तक होगा नही इसका अंत
ऊंच-नीच है एक मासिक अवस्था
हमें मिलकर ख़त्म करना है ये नकारात्मक व्यवस्था
देश में खुशहाल हर व्यक्ति होगा
अपना समाज जब जाति बंधन मुक्ति होगा
बहुतो को डर होता है वर्ण भेद से
वर्ण परम्परा तो चली आ रही है अथर्ववेद से
जाति निर्धारन रो क दो वंश के आधार से
दोस्ती बढ़ाओ तालमेल, व्यवहार और अपने संस्कार से
जातिप्रथा समाप्त करना है तो शुरू करें अंतरजातीय विवाह
यही सही रास्ता है और यही हैं एक कवयित्री की सलाह
Name - Saloni yadav
Schooling - st Xavier's school salempur Deoria
College - J.S university Shikohabad ( Bse.)
Address - Jamua no. 2 Salempur
Deoria Uttar Pradesh
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1/13/25
ब्लैकमेलिंग का जाल (हिंदी कविता ):- इजहार अली हैदर
ब्लैकमेलिंग का जाल :- इजहार अली हैदर
ब्लैकमेलिंग का जाल :- इजहार अली हैदर
गाँव की पगडंडियों पर चलती,
सपनों में खोई एक लड़की थी।
मासूम सी उसकी हंसी,
दिल में कई अरमान भरी थी।
खेल कूद और हंसी-ठिठोली,
गाँव की रीत निभाती थी।
न जाने कब किसने देखा,
उसकी तस्वीरें चुराईं थी।
एक दिन वो अजनबी मिला,
मुस्कान में उसने जाल बिछाया।
मासूमियत को उसकी भांप कर,
अपना उसने खेल रचाया।
पहले प्यार का झूठा वादा,
फिर बातें मीठी-मीठी।
धीरे-धीरे उसके दिल को,
फांस लिया एक नीच नीयती।
फिर एक दिन उसने धमकाया,
वो तस्वीरें और वो बातें।
उसकी इज्जत और मान को,
अब उसने हथियार बनाया।
"दे दो ये, करो वो काम,
वरना नाम मिटा दूंगा।
तुम्हारी इन मासूम आँखों का,
मैं सारा नशा उतार दूंगा।"
डर और शर्म से सहमी लड़की,
उसने किसी को नहीं बताया।
हर रोज़ उसके कदमों में,
उस दरिंदे का साया।
माँ-बाप की इज्जत का डर,
और समाज का कटु व्यंग।
उसकी आत्मा चीख उठी,
पर मुँह से निकली न एक संग।
हर रोज़ एक नई सजा,
हर रोज़ एक नया ज़ुल्म।
वो मासूम सी चिड़िया,
अब हो गई एक कसमकश का फल।
फिर एक दिन हिम्मत बांधी,
अपनी चुप्पी को तोड़ा।
गाँव की पंचायत में जाकर,
अपनी दर्द भरी दास्तान बोला।
सुनकर उसकी करुण कहानी,
सबकी आँखें भर आईं।
उस दरिंदे को पकड़ने के लिए,
गाँव ने अब कमर कसी।
लड़कियों की इज्जत और मान,
अब गाँव की शान बनी।
उसकी हिम्मत और साहस से,
नई दिशा गाँव ने पाई।
अब हर लड़की को सिखाया जाता,
साहस और आत्मसम्मान का पाठ।
ब्लैकमेलिंग के इस काले जाल को,
मिलकर सबने किया साफ।
उस मासूम की कहानी ने,
गाँव को नई राह दिखाई।
साहस और संगठित प्रयास से,
हर मुश्किल को मात दिलाई।
अब गाँव में हर लड़की,
अपने सपनों को जीती है।
साहस और आत्मबल के संग,
जीवन की राह चुनती है।
कवि - इजहार अली हैदर
जिला पलामू
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12/31/24
कुछ करना है मुझे (हिंदी कविता)- सलोनी यादव
यूं तो आपने कई हिंदी कविताओं को पढ़ा होगा किन्तु खुद को प्रेरित करती कविता कम ही। तो चलिए साहित्य आजकल से आज के अंक में प्रकाशित उत्तरप्रदेश की सलोनी यादव द्वारा खुद को प्रेरित करती हुई बेहतरीन स्वरचित कविता "कुछ करना है मुझे" पढ़ते हैं और आज के तमाम युवाओं को इन पंक्तियों के भाव को आत्मासात करना चाहिए! इस कविता लिंक को जन जन तक शेयर करना न भूलें।
शीर्षक :- "कुछ करना है मुझे"
शीर्षक :- "कुछ करना है मुझे"
आजकल बच्चों में आत्मविश्वास का
बढ़ता जा रहा है अभाव,
इसलिये लिखने बैठी हूं अपने मन के भाव,
कुछ करना है मुझे, कुछ करना है मुझे,
वही आश लिये है अपने सीने में,
क्योंकि कुछ करने का मजा है
जीने में आगे क्या होगा,
बताने वाला कोई फकीर नहीं,
और जिंदगी में कुछ भी नहीं मिले
ऐसी हाथों की लकीर नहीं,
कौन है, जो सब कुछ पा सकता है करके समर्पण,
अगर जान ना हैं तुम्हे, तो जाओ देख लो दर्पण,
आज पैसो के लिय बढती जा रही है
दुरिया अपनी ही रक्त की,
उन्हें नहीं पता, कीमत पैसे की नहीं
होती है तो वक्त की,
यू तुम थक कर ना बैठ रख हाथों पर हाथ,
क्या हुआ अगर पूरी दुनिया छोड़ दे
ईश्वर है तुम्हारे साथ,
तुम अपने हौसले और मेहनत से
बदल दो अपनी किस्मत,
क्योंकि इसके बाद ही किसी को
मिलती है जिंदगी में बरकत,
तुम्हें खुश रहना है तो छोड़ दो
अधिक कामने की तृष्णा ,
बुड्ढे, कामजोर और असहाय से मत करो घृणा |
रचनाकार - सलोनी यादव
(उत्तरप्रदेश )
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12/21/24
फिजिकल टीचर को आखिर न्याय कब देंगे नीतीश कुमार??
फिजिकल टीचर को आखिर न्याय कब देंगे नीतीश कुमार??
बिहार के शारीरिक शिक्षकों का दर्द छलक उठा है। इनका कहना है कि सरकार उनकी नहीं सुनती है और बोलने पर पुलिस लाठीयों से मारती है। ऐसे में आखिर तमाम फिजिकल टीचर क्या करें? ना तो अपनी मां की दवाई ला सकते हैं और ना ही बच्चों की फीस भर सकते हैं। कम पैसों की वजह से घर का खर्च चलाने के लिए भी घर वालों से पैसे मांगने पड़ते हैं। आज फिजिकल टीचर की हालत काफी दयनीय हो चुकी है!
बिहार में नव नियुक्त शारीरिक शिक्षक और स्वास्थ्य अनुदेशक आर्थिक तंगी और वेतन विसंगतियों से जूझ रहे हैं -
महज ₹8,000 मासिक वेतन पर काम कर रहे इन शिक्षकों के लिए जीवनयापन करना अत्यंत कठिन हो गया है। उनकी शिकायतें और विरोध लंबे समय से जारी हैं, लेकिन सरकारी स्तर पर अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है। आखिर करे तो क्या करे फिजिकल टीचर?
शिक्षकों की शिकायतें और चुनौतियां भी कम नहीं
शारीरिक शिक्षकों का कहना है कि उन्हें अपने परिवार का सामना करने में भी शर्म आती है। वे मां की दवा, बच्चों की फीस और दैनिक खर्चों के लिए पैसे नहीं जुटा पाते हैं । अधिकांश शिक्षक घर से दूर स्कूलों में तैनात हैं और किराए के मकानों में रहते हैं। ₹8,000 की तनख्वाह का बड़ा हिस्सा किराए और यात्रा में खर्च हो जाता है। अब सोचने वाली बात यह है कि आखिर करे तो क्या करे?
बिहार में शिक्षा और मेहनत का कोई सम्मान नहीं - फिजिकल टीचर
शिक्षकों ने लाखों रुपये खर्च कर मैट्रिक, इंटर, ग्रेजुएशन और B.P.Ed की पढ़ाई की। 2019 में STET पास करने के बाद तीन साल इंतजार करना पड़ा। 2022 में नौकरी मिलने के बाद भी वेतन की स्थिति दयनीय बनी रही। लगातार फिजिकल टीचर सरकार से अपनी बात बताते रहे हैं तब भी सरकार नहीं सुन रही है!
संघर्ष और आंदोलन का सिलसिला जारी
शिक्षक प्रतिनिधियों ने कई बार पटना में धरना प्रदर्शन किया। अपनी शिकायतें सरकार और राजनीतिक दलों के नेताओं तक पहुंचाईं। 26 जुलाई और 25 अक्टूबर 2024 को पटना सचिवालय और जदयू कार्यालय का घेराव करने पर शिक्षकों पर लाठीचार्ज किया गया। इससे शिक्षकों में गहरी नाराजगी और हताशा हो चुके हैं!
आगामी विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी -
फिजिकल टीचर अब आंदोलन करने पर बेबस हो गए हैं जानकारी अनुसार जल्द ही फिर से फिजिकल टीचर आंदोलन करने की योजना बना रहे हैं!
शिक्षकों ने न्यूनतम वेतन को बढ़ाकर उनके जीवनयापन योग्य बनाने की मांग की है। सरकार से वेतन विसंगतियों को दूर करने और शिक्षकों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की गई है।

10/25/24
Top 5 Best 5 g Smartphone
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(1)
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(2)
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9/25/24
समकालीन कविता में गीत गजलों ने जबरदस्त हस्तक्षेप किया है l : सिद्धेश्वर
समकालीन कविता में गीत गजलों ने जबरदस्त हस्तक्षेप किया है l : सिद्धेश्वर
पटना ! 25 09/24l हिंदी साहित्य में यदि सर्वाधिक लिखी जाने वाली और चर्चित कोई विधा है तो वह है कविता ! और वह इसलिए है कि यह समयगत सच्चाइयों को अंगीकार करते हुए, अपनी प्रभावशाली शैली में, साथ ही साथ कम शब्दों में, बहुत बड़ी-बड़ी बातें कहने में सक्षम दिख पड़ती है l कविता महत्वपूर्ण, चर्चित विधा है। उसकी आकारीय लघुता में ही संपूर्णता है l और इस मायने से बड़े आकार में लिखी जा रही कविताएं या महाकाव्य ग्रंथ को दरकिनार किया जा रहा है l सपाटबयानी कविता किसी को पसंद नहीं आ रही है lइसलिए गीत गजलों का अब प्रचलन फिर से बढ़ गया हैl और आज समकालीन कविता में गीत गजलों ने जबरदस्त हस्तक्षेप किया है l
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वावधान में, अवसर साहित्य पाठशाला के 49वें एपिसोड में, पूरे देश में पहली बार इस तरह का साहित्यिक पाठशाला का ऑनलाइन आयोजन करने वाले संयोजक सिद्धेश्वर ने, संचालन के क्रम में उपरोक्त उद्गार व्यक्त किया l उन्होंने कहा कि हमें खुशी है कि कई नए रचनाकार इस पाठशाला में शामिल हो रहे हैं और लाभ उठा रहे हैं l
सरोज गुप्ता ने लिखा कि सिद्धेश्वर की कविता अच्छी लगी l जीवन की सच्चाई यही है सांसों की घड़ी कहीं भी रुक सकती है l मार्मिक रचना साधुवाद l सिद्धेश्वर ने विज्ञान व्रत की ग़ज़ल की सराहना करते हुए लिखा कि आपके सारे शेर काफी महत्वपूर्ण होते हैं l छोटे बहर में बड़ी बातें होती है l विजया नंद विजय ने कहा कि सभ्यता संस्कृति संस्कार यह सब घर की बहू बेटियों से ही चलते हैं अब एकाकी परिवार में खाना पानी सब पैकेट में l कई कविताओं में इन बातों का अच्छा जिक्र हुआ है l तेज नारायण रॉय ने लिखा कि सिद्धेश्वर की गजलें अच्छी बन पड़ी है l अध्यक्षीय टिप्पणी देते हुए घनश्याम कालजयी ने लिखा कि इस मंच पर कई कविताएं मानवीय वेदना को झकझोरती हुई समसामायिक है l
सितंबर 2024 माह में आयोजित इस अवसर साहित्य पाठशाला एवं कविता सप्ताह में जिन रचनाकारों की कविताएं प्रस्तुत की गई उनमें प्रमुख हैँ : सर्वश्री 🧇 कविता सप्ताह में शामिल अब तक के कविगण सर्वश्री विज्ञान व्रत / सरोजिनी तन्हाँ /राज कांता राज /एम के मधु/ तेज नारायण राय/ अपूर्व कुमार/ सिद्धेश्वर / सुरेंद्र चतुर्वेदी / अविनाश बंधु निर्मल कुमार डे/ विजयाकुमारी मौर्य / मनोरमा पंत / अनिता रश्मि / घनश्याम कालजयी / सुधाकर मिश्रा/ निर्मल कर्ण / महक पंत / निर्दोष कुमार विन / अनीता पंडा /ऋचा वर्मा / सपना चंद्रा / हिना मांड्या / राज प्रिया रानी / शंकर भगवान सिंह / अर्चना/ सरोज गुप्ता / प्रभात धवन/ जगदीश रॉय / दीप्ति / रशीद गौरी / अनीता मिश्रा सिद्धि / मीरा सिंह मीरा / नीलम नारंग / पूनम वर्मा/ पुष्प रंजन / एकलव्य केसरी / योगराज प्रभाकर l
महीने के प्रथम सप्ताह सोमवार से शनिवार तक, व्हाट्सएप के अवसर साहित्य यात्रा पेज पर चलने वाली पाठशाला सह कार्यशाला का समापन रविवार को गूगल मीट के माध्यम से फेसबुक के अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका के पेज पर हेलो फेसबुक कवि सम्मेलन के साथ हुआ l

9/15/24
सभक मंच द्वारा आयोजित हुई पूर्णिया पॉमोडी
साहित्यिक खबर:-
सभक मंच द्वारा आयोजित हुई पूर्णिया पॉमोडी
पूर्णिया शहर के स्थानीय टाउन हॉल परिसर में सभक मंच द्वारा पूर्णिया पॉमोडी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में खाद एवं उपभोक्ता मंत्री लेसी सिंह, पूर्णियां कॉलेज पूर्णियां प्रधानाचार्य डॉ शंभू कुशाग्र, प्रोफेसर डॉ वी. एन सिंह, समाजसेवी अनंत भारती, प्रेस क्लब पूर्णियां के अध्यक्ष नंद किशोर सिंह, वरिष्ठ साहित्यकार गिरजानन्द मिश्र, डॉ के के चौधरी, संजय सनातन, लोकनर्तक अमित कुंवर, कॉमेडियन राज सोनी शामिल थे। उक्त कार्यक्रम की अध्यक्षता शम्भू कुशाग्र कर रहे थे। वहीं मंच संचालन युवा कवि हरे कृष्ण प्रकाश व रितेश कुमार ने संयुक्त रूप से किया।
कार्यक्रम में मंत्री लेसी सिंह ने कहा कि साहित्य की राह पकड़ समाज को बेहतर संदेश देने वाले इन तमाम युवाओं को बधाई साथ ही उन्होंने कहा कि जहां लोग आज के समय मोबाइल में व्यस्त रहते हैं वहीं इस कार्यक्रम में साहित्यप्रेमी पहुंचे हैं यह गर्व की बात है। अंत में साहित्यकारों को इस तरह कार्यक्रम निरंतर आयोजित करने को ले प्रेरित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्णिया कॉलेज पूर्णियां के प्रधानाध्यापक डॉ शम्भू कुशाग्र ने कहा कि साहित्य समाज की दर्पण है और इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन से समाज को नई दिशा मिलती रहेगी। साहित्य चाहे किसी भी विधा में हो लिखना आसान नहीं। आज के नवोदित साहित्यकार ही कल की साहित्यिक धरोहर है। उन्होंने कहा कि समाज अभी जिस ओर बढ़ रही है उसे साहित्य ही सही राह दिखा सकती है। वहीं कार्यक्रम में युवाओं को संबोधित करते हुए डॉ. वी एन सिंह ने कहा कि ये कार्यक्रम कल्पनाओं को हकीकत में बदलने की कोशिश है। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया ।
इस कार्यक्रम में तमाम साहित्यकारों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी। जिसमें रानी सिंह ने मां जब मुस्कुराती है, अंशु अजय चरैया ने हे कृष्ण तुम आओ जरा सुदर्शन तो उठाओ जरा पाप ही पाप है बढ़ गया, सुदर्शन तो उठाओ जरा, पर काव्य पाठ कर ढेरों तालियां बटोरी। वहीं युवा कवि हरे कृष्ण प्रकाश ने अल्हड़ सी इस दुनियां में रहते हैं कई लोग, हिंदी के हैं हम दीवानें, हिंदी के हैं कई अफसाने से अपनी बेहतरीन प्रस्तुति दी। प्रिया सिंह ने कोई पागल है दुनियां में, रितेश कुमार ने वो जब हंसती है सावन से अपनी प्रस्तुति दी, अखिल आनंद ने उनके लिए बेचैन नही हूँ पर थोड़ी बेचैनी होती, हमेशा नही कभी कभी,

8/23/24
तब मैं रहूंगा तुम्हारे संग (कविता):- प्रेम ठक्कर "दिकुप्रेमी"
तब मैं रहूंगा तुम्हारे संग (कविता):- प्रेम ठक्कर "दिकुप्रेमी"
*शीर्षक:- बुढ़ापे तक का साथ*
जब सूरज की किरणें होंगी हल्की,
और जीवन की राहें होंगी थकती,
तब मैं रहूंगा तुम्हारे संग,
हर पल में भर दूंगा प्यार का रंग।
बुढ़ापे की छांव में, जब होंगे हम,
साथ बिताएंगे वो खट्टे-मीठे क्षण।
हाथों में हाथ, दिलों में धड़कन,
संग चलेंगे हम, जैसे हो एक ही चमन।
सपनों की बातें, यादों की छाया,
हर दर्द में बनूंगा, मैं तुम्हारा साया।
बुढ़ापे की राहों में,
ना होगी कोई दूरी।
तुम्हारे साथ चलूंगा हरदम,
इसी से होगी सम्पूर्ण मेरी ज़िंदगी,
जो अभी हो चुकी है अधूरी।
साथ में हंसेंगे, साथ में रोएंगे।
जीवन के हर मोड़ पर,
हम एक-दूसरे में खुद को खोएंगे।
बुढ़ापे तक का ये वादा है मेरा,
तुम हो मेरी आखरी ख्वाईश,
तुम ही हो मेरा जीवन सारा।
*प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए*
प्रेम ठक्कर "दिकुप्रेमी"
(सुरत, गुजरात)
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हरे कृष्ण प्रकाश
(युवा कवि, पूर्णियां बिहार)
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8/22/24
तुम न्याय का याचन मत करना (कविता):- विजय कुमार सुतेरी
रचना पृष्ठभूमि- यह रचना पश्चिम बंगाल में हाल में हुए बलात्कार पीड़ित एक डॉक्टर बिटिया को समर्पित है ,जिसमे महिलाओं को स्वयं को कमजोर समझने की मानसिकता से ऊपर उठकर अपनी शक्ति और ऊर्जा को पहचानने के विषय में बताया गया है।
शीर्षक -न्याय याचना
तुम न्याय का याचन मत करना,
उम्मीद बांध कर मत रखना
हो सके राह में चलते चलते।
सर को चुनरी से मत ढकना।
तुम एक रोज यूंही जरा गौर करना
गाहे बगाहे खुद के भीतर जरा शोर करना
तुम पूछना खुद से कि तुम क्या खो रही हो
अस्तित्व हीन सपनो की लंबी नीद सो रही हो।
कोई आए और सब कुछ रौंद कर चला जाए
तुम्हारा जिस्म, तुम्हारी रूह तक छलनी कर जाए
और तुम्हारे पीछे मोम्बतियो के उजाले में लोग ,
इंसाफ मांगते कुछ रात सड़कों पर चिल्लाएं ।
है मिला किसे इंसाफ यहां, मोमबत्ती की रोशनी तले
राख बहुत से घर हुए हैं, कुछ जले कुछ अधजले ।
कुछ समाचार में छाए,कुछ अखबारों की सुर्खियों के नाम रहे
कुछ इज्जत की खातिर, चार दीवारों में गुमनाम रहे।
लथपथ रक्त से सना तन बदन, दूर तक जाती खून की धार।
इन दृश्यों की परपाटी अंतहीन चली आ रही है।
तुम्हारी खुद को कमजोर कहने की परंपरा आज,
किसी होनहार डॉक्टर की बलि खा रही है।
कोई कोना ढूंढ लेना खुद को सुरक्षित रखने के लिए
गलियां, सड़कें, अस्पताल ,खुली हवा बस इनसे दूर रहना।
सिसकियों में जीवन के रस का लुत्फ उठाना
पर भूलना मत खुद को "स्त्री और मजबूर" कहना।
हा अगर सुना है कभी "चंडी" का नरसंहार
तो संभल स्त्री! उठा खड्ग और चामुंडी तलवार।
इतिहास बना ऐसा, वो जो सदियों तक गाया जाए
हो एक तो कोई मर्दानी, जो झांसी की फिर याद दिलाए।
कोमल पुष्पों की काया के कांटे रखवाले होते हैं
सौभाग्य बनाती नारी के हाथों में भाले होते हैं
वैभव ऐसा कि दुश्मन की बांह उखाड़े लहरा दे
हिम्मत मानो अपनी निजता के, द्वारों पर खुद पहरा दे।।
हो विषम वेदना कितनी भी
आंसू आंखों के मत चखना
तुम न्याय का याचन मत करना
उम्मीद बांध कर मत रखना।
कविता शीर्षक - न्याय याचना
कवि- विजय कुमार सुतेरी
शहर -लोहाघाट
राज्य- उत्तराखंड
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हरे कृष्ण प्रकाश
(युवा कवि, पूर्णियां बिहार)
(साहित्य आजकल व साहित्य संसार)
