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समकालीन कविता में गीत गजलों ने जबरदस्त हस्तक्षेप किया है l : सिद्धेश्वर
पटना ! 25 09/24l हिंदी साहित्य में यदि सर्वाधिक लिखी जाने वाली और चर्चित कोई विधा है तो वह है कविता ! और वह इसलिए है कि यह समयगत सच्चाइयों को अंगीकार करते हुए, अपनी प्रभावशाली शैली में, साथ ही साथ कम शब्दों में, बहुत बड़ी-बड़ी बातें कहने में सक्षम दिख पड़ती है l कविता महत्वपूर्ण, चर्चित विधा है। उसकी आकारीय लघुता में ही संपूर्णता है l और इस मायने से बड़े आकार में लिखी जा रही कविताएं या महाकाव्य ग्रंथ को दरकिनार किया जा रहा है l सपाटबयानी कविता किसी को पसंद नहीं आ रही है lइसलिए गीत गजलों का अब प्रचलन फिर से बढ़ गया हैl और आज समकालीन कविता में गीत गजलों ने जबरदस्त हस्तक्षेप किया है l
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वावधान में, अवसर साहित्य पाठशाला के 49वें एपिसोड में, पूरे देश में पहली बार इस तरह का साहित्यिक पाठशाला का ऑनलाइन आयोजन करने वाले संयोजक सिद्धेश्वर ने, संचालन के क्रम में उपरोक्त उद्गार व्यक्त किया l उन्होंने कहा कि हमें खुशी है कि कई नए रचनाकार इस पाठशाला में शामिल हो रहे हैं और लाभ उठा रहे हैं l
सरोज गुप्ता ने लिखा कि सिद्धेश्वर की कविता अच्छी लगी l जीवन की सच्चाई यही है सांसों की घड़ी कहीं भी रुक सकती है l मार्मिक रचना साधुवाद l सिद्धेश्वर ने विज्ञान व्रत की ग़ज़ल की सराहना करते हुए लिखा कि आपके सारे शेर काफी महत्वपूर्ण होते हैं l छोटे बहर में बड़ी बातें होती है l विजया नंद विजय ने कहा कि सभ्यता संस्कृति संस्कार यह सब घर की बहू बेटियों से ही चलते हैं अब एकाकी परिवार में खाना पानी सब पैकेट में l कई कविताओं में इन बातों का अच्छा जिक्र हुआ है l तेज नारायण रॉय ने लिखा कि सिद्धेश्वर की गजलें अच्छी बन पड़ी है l अध्यक्षीय टिप्पणी देते हुए घनश्याम कालजयी ने लिखा कि इस मंच पर कई कविताएं मानवीय वेदना को झकझोरती हुई समसामायिक है l
सितंबर 2024 माह में आयोजित इस अवसर साहित्य पाठशाला एवं कविता सप्ताह में जिन रचनाकारों की कविताएं प्रस्तुत की गई उनमें प्रमुख हैँ : सर्वश्री 🧇 कविता सप्ताह में शामिल अब तक के कविगण सर्वश्री विज्ञान व्रत / सरोजिनी तन्हाँ /राज कांता राज /एम के मधु/ तेज नारायण राय/ अपूर्व कुमार/ सिद्धेश्वर / सुरेंद्र चतुर्वेदी / अविनाश बंधु निर्मल कुमार डे/ विजयाकुमारी मौर्य / मनोरमा पंत / अनिता रश्मि / घनश्याम कालजयी / सुधाकर मिश्रा/ निर्मल कर्ण / महक पंत / निर्दोष कुमार विन / अनीता पंडा /ऋचा वर्मा / सपना चंद्रा / हिना मांड्या / राज प्रिया रानी / शंकर भगवान सिंह / अर्चना/ सरोज गुप्ता / प्रभात धवन/ जगदीश रॉय / दीप्ति / रशीद गौरी / अनीता मिश्रा सिद्धि / मीरा सिंह मीरा / नीलम नारंग / पूनम वर्मा/ पुष्प रंजन / एकलव्य केसरी / योगराज प्रभाकर l
महीने के प्रथम सप्ताह सोमवार से शनिवार तक, व्हाट्सएप के अवसर साहित्य यात्रा पेज पर चलने वाली पाठशाला सह कार्यशाला का समापन रविवार को गूगल मीट के माध्यम से फेसबुक के अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका के पेज पर हेलो फेसबुक कवि सम्मेलन के साथ हुआ l
पूर्णिया शहर के स्थानीय टाउन हॉल परिसर में सभक मंच द्वारा पूर्णिया पॉमोडी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में खाद एवं उपभोक्ता मंत्री लेसी सिंह, पूर्णियां कॉलेज पूर्णियां प्रधानाचार्य डॉ शंभू कुशाग्र, प्रोफेसर डॉ वी. एन सिंह, समाजसेवी अनंत भारती, प्रेस क्लब पूर्णियां के अध्यक्ष नंद किशोर सिंह, वरिष्ठ साहित्यकार गिरजानन्द मिश्र, डॉ के के चौधरी, संजय सनातन, लोकनर्तक अमित कुंवर, कॉमेडियन राज सोनी शामिल थे। उक्त कार्यक्रम की अध्यक्षता शम्भू कुशाग्र कर रहे थे। वहीं मंच संचालन युवा कवि हरे कृष्ण प्रकाश व रितेश कुमार ने संयुक्त रूप से किया।
कार्यक्रम में मंत्री लेसी सिंह ने कहा कि साहित्य की राह पकड़ समाज को बेहतर संदेश देने वाले इन तमाम युवाओं को बधाई साथ ही उन्होंने कहा कि जहां लोग आज के समय मोबाइल में व्यस्त रहते हैं वहीं इस कार्यक्रम में साहित्यप्रेमी पहुंचे हैं यह गर्व की बात है। अंत में साहित्यकारों को इस तरह कार्यक्रम निरंतर आयोजित करने को ले प्रेरित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्णिया कॉलेज पूर्णियां के प्रधानाध्यापक डॉ शम्भू कुशाग्र ने कहा कि साहित्य समाज की दर्पण है और इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन से समाज को नई दिशा मिलती रहेगी। साहित्य चाहे किसी भी विधा में हो लिखना आसान नहीं। आज के नवोदित साहित्यकार ही कल की साहित्यिक धरोहर है। उन्होंने कहा कि समाज अभी जिस ओर बढ़ रही है उसे साहित्य ही सही राह दिखा सकती है। वहीं कार्यक्रम में युवाओं को संबोधित करते हुए डॉ. वी एन सिंह ने कहा कि ये कार्यक्रम कल्पनाओं को हकीकत में बदलने की कोशिश है। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया ।
इस कार्यक्रम में तमाम साहित्यकारों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी। जिसमें रानी सिंह ने मां जब मुस्कुराती है, अंशु अजय चरैया ने हे कृष्ण तुम आओ जरा सुदर्शन तो उठाओ जरा पाप ही पाप है बढ़ गया, सुदर्शन तो उठाओ जरा, पर काव्य पाठ कर ढेरों तालियां बटोरी। वहीं युवा कवि हरे कृष्ण प्रकाश ने अल्हड़ सी इस दुनियां में रहते हैं कई लोग, हिंदी के हैं हम दीवानें, हिंदी के हैं कई अफसाने से अपनी बेहतरीन प्रस्तुति दी। प्रिया सिंह ने कोई पागल है दुनियां में, रितेश कुमार ने वो जब हंसती है सावन से अपनी प्रस्तुति दी, अखिल आनंद ने उनके लिए बेचैन नही हूँ पर थोड़ी बेचैनी होती, हमेशा नही कभी कभी,
से अपनी प्रस्तुति दी। शम्श तबरेज, प्रिंस ओम ने कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुति से समा बांध दी। अतिथियों संग श्रोताओं ने जमकर तालियां बजा कर नवोदित कवियों का उत्साहवर्धन किया।
कार्यक्रम के विषय में मंच संयोजक रितेश कुमार, अंशु अजय चरैया व अखिल आनंद ने संयुक्त रूप से कहा कि इस कार्यक्रम के तहत नवोदित साहित्यकारों को आगे बढ़ाने का प्रयास किया गया है। कार्यक्रम के अंत में तमाम कवियों को पुस्तक देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में तमाम साहित्यकारों में युवा कवि हरे कृष्ण प्रकाश, रितेश कुमार, अखिल आनंद, अंशु अजय चरैया, पंकज कुमार, शम्स तबरेज, रानी सिंह, प्रिया सिंह, मनु रमन, पंकज सिंह, सोनम कुमारी, प्रिंस राज ओम, युनोसाहिद, कॉमेडियन राज सोनी आदि ने बेहतरीन प्रस्तुति दी। इस मौके पर कई गणमान्य अतिथि व सैकड़ों युवा मौजूद रहे।
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रचना पृष्ठभूमि- यह रचना पश्चिम बंगाल में हाल में हुए बलात्कार पीड़ित एक डॉक्टर बिटिया को समर्पित है ,जिसमे महिलाओं को स्वयं को कमजोर समझने की मानसिकता से ऊपर उठकर अपनी शक्ति और ऊर्जा को पहचानने के विषय में बताया गया है।
कुछ समाचार में छाए,कुछ अखबारों की सुर्खियों के नाम रहे
कुछ इज्जत की खातिर, चार दीवारों में गुमनाम रहे।
लथपथ रक्त से सना तन बदन, दूर तक जाती खून की धार।
इन दृश्यों की परपाटी अंतहीन चली आ रही है।
तुम्हारी खुद को कमजोर कहने की परंपरा आज,
किसी होनहार डॉक्टर की बलि खा रही है।
कोई कोना ढूंढ लेना खुद को सुरक्षित रखने के लिए
गलियां, सड़कें, अस्पताल ,खुली हवा बस इनसे दूर रहना।
सिसकियों में जीवन के रस का लुत्फ उठाना
पर भूलना मत खुद को "स्त्री और मजबूर" कहना।
हा अगर सुना है कभी "चंडी" का नरसंहार
तो संभल स्त्री! उठा खड्ग और चामुंडी तलवार।
इतिहास बना ऐसा, वो जो सदियों तक गाया जाए
हो एक तो कोई मर्दानी, जो झांसी की फिर याद दिलाए।
कोमल पुष्पों की काया के कांटे रखवाले होते हैं
सौभाग्य बनाती नारी के हाथों में भाले होते हैं
वैभव ऐसा कि दुश्मन की बांह उखाड़े लहरा दे
हिम्मत मानो अपनी निजता के, द्वारों पर खुद पहरा दे।।
हो विषम वेदना कितनी भी
आंसू आंखों के मत चखना
तुम न्याय का याचन मत करना
उम्मीद बांध कर मत रखना।
कविता शीर्षक - न्याय याचना
कवि- विजय कुमार सुतेरी
शहर -लोहाघाट
राज्य- उत्तराखंड
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अपने फोन से RTI Apply बस 2 min में ऐसे करें? RTI Apply करने का संपूर्ण जानकारी! How to Apply RTI online? How to file RTI Online step by step own Mobile? नीचे दिए जानकारी से साथियों आप जल्द RTI कर लेंगे।
दोस्तों सरकार द्वारा बढ़ रहे करप्शन पर रोक लगाने के लिए और नागरिकों को सरकारी विभाग के कामों के सम्बंधित सभी जानकारी या सूचना सही सही प्राप्त हो सके इसके लिए 2005 में सूचना का अधिकार यानी (Right to Information-RTI) अधिनियम लागू किया गया था और इसके तहत 0nline RTI Application Form भरकर ये भी जानकारी पता कर सकते है कि आपके क्षेत्र के विकास कार्य में कितने पैसे खर्च हुए और सरकार द्वारा आपको जानकारी तथ्यों के आधार पर दी जायेगी। साथ ही आप किसी भी विभाग के संबंध में कोई भी जानकारी लेना चाहते हैं जैसे अगर आप किसी प्रतियोगी परीक्षाओं का फॉर्म भर कर परीक्षा देते हैं किंतु आप असफल हो जाते हैं तो आप RTI के तहत उस परीक्षा परिणाम की पूरी डिटेल्स मंगा सकते हैं।
तो साथियों अगर आपको किसी भी विभाग से कुछ जानकारी लेनी है तो नीचे दिए स्टेप को फॉलो करें और आसानी से RTI फॉर्म अप्लाई करें।
अपने मोबाइल फोन से अप्लाई करने के लिए सबसे पहले आप इस "जानकारी RTI" पर क्लिक करें और यह बिहार सरकार की आधिकारिक वेबसाइट है और यदि आप इसका आधिकारिक जानकारी एप को इंस्टाल करना चाहते हैं तो हमें 9709772649 पर व्हाट्सएप कर लें मैं सीधा एप भेज दूंगा।
बिहार सरकार ने “Jankari” के रूप मे एक सुविधा केंद्र की स्थापना की है जिससे आप मात्र 5 मिनट में RTI कर सकते हैं।आरटीआई फाइल करने का सबसे फास्ट तरीका यह है। नीचे बताएं गए प्रॉसेस को फ़ॉलो करके बिहार ऑनलाइन आरटीआई फाइल कर कर जानकारी ले सकते हैं --
1) सबसे पहले आपको Jaankari Facilitation Centre की आधिकारिक पर क्लिक कर एप को डाउनलोड कर लें। या आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर सीधे ऑनलाइन ओपन कर लें।
2) वेबसाइट पर जाने के बाद होम पेज पर राइट साइड मे 4 बॉक्स दिखाई देंगे।
3) आपको अप्लाई फॉर आरटीआई (Apply for RTI) पर क्लिक करना होगा या ऊपर दिए गए लिंक पर क्लिक करके डायरेक्ट जा सकते हैं। इसके बाद आपके सामने एप्लीकेशन फॉर्म तुरंत खुल जाएगा!
4) एप्लीकेशन फॉर्म में पुछी गई सभी जानकारी दर्ज करनी होगी जैसे कि नाम, मोबाइल नंबर, Aadhaar Number, एड्रेस आदि।
5) आगे आपको जिस विभाग से जानकारी प्राप्त करनी है वो स्लेक्ट करना होगा, इसके बाद जिस चीज के बारे मे पूछना चाहते हैं वो Subject डालना होगा।
6) इसके बाद Description (विवरण) भरना होगा।
सारी जानकारी भरने के बाद proceed पर क्लिक करना होगा! और proceed to pay पर क्लिक करना होगा।
इसके बाद आपको RTI payment Fee ka भुगतान डेबिट/क्रेडिट या UPI के माध्यम से करना होगा। पेमेंट करने के बाद आवेदन संख्या और पेमेंट स्लीप को save करके रख लेना है।
RTI करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि आप जो मेटर लिख रहे हैं उसका शब्द को सही रूप से प्रेषित करना...इसलिए मैं आपको एक उदाहरण देते हुए आपको समझता हूं और आप इस तरह ही शब्दों को लिख कर जब आरटीआई करेंगे तो विभाग से जवाब जरूर मिलेगा। ----
Subject में इस तरह लिखें:- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सूचना प्राप्ति के संबंध में।
Description में इस तरह लिखें :- (Advt. No. 27/2023), EDUCATION DEPARTMENT, CLASS 9-10 'गणित' विषय के लिए घोषित रिजल्ट में भाषा Qualifying में 30 प्रतिशत से कम अंक लाने वाले Candidates की संख्या से अवगत कराने का कष्ट करें।
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साहित्य आजकल से आज के अंक में आप पढ़ेंगे समस्तीपुर बिहार की साक्षी रॉय की जाती धर्म संप्रदाय पर केंद्रित स्वरचित रचना। पढ़ें व अपने तमाम लोगों तक अवश्य साझा करें।
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अपने गीत गज़लों के माध्यम से डॉ शरद नारायण खरे आम पाठको के हृदय में रचने बसने में सक्षम हैं - सिद्धेश्वर
' साहित्यकार सदैव विद्यार्थी होता है' - प्रो.शरद नारायण खरे
पटना ! आज के व्यस्ततम समय में एवं लिखी जा रही बोझिल कविताओं के दौड़ में, यदि किसी की लयात्मक कविताएँ आपके हृदय को छू ले , तो यह उस समकालीन कवि की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी l ऐसे में लयात्मक कविताओं के धनी वरिष्ठ कवि डॉ शरद नारायण खरे, कवियों की श्रेणी में अग्रणी नज़र आते हैंl उन्होंने इस कार्यक्रम के दौरान एक दर्जन के करीब गीत- गजलों का पाठ भी किया l एक तरफ उनकी कविताएँ देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत थी तो दूसरी तरफ उनकी गज़लें जीवन के कटु यथार्थ को लिए हृदय में चुभन का एहसास करा रही थी l कहने का तात्पर्य यह कि डॉ शरद नारायण खरे अपने गीत- गज़ल के माध्यम से आम पाठको के हृदय में रचने बेसने का सामर्थ्य रखते हैं l
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद् के तत्वधान में , यूट्यूब के पेज पर सिद्धेश्वर जी ने ' ऑनलाइन अवसर साहित्य पाठशाला' के 28 वें एपिसोड के अवसर पर ' हेलो फेसबुक कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए उपरोक्त उद्गार व्यक्त किया l उन्होंने कहा कि कविता, कहानी,गज़ल आदि किसी भी विधा में रचना की बात करें और लेखक या कवियों की चर्चा करें तो प्रेमचंद, निराला, मुक्तिबोध, राहुल सांकृत्यायन आदि को लेखक बनने के लिए किसी विश्वविद्यालय में जाकर डिग्री लेने की जरूरत नहीं पड़ी थी l सतत साहित्य का अध्ययन और सृजन ही उन्हें महान लेखक के रूप में स्थापित किया l
" हमारे इस एपिसोड से बहुत सारे नए रचनाकार, सृजनात्मक जानकारी प्राप्त कर रहे हैं l" आज की कविता पाठशाला में छंद में लिखी जारी कविताओं पर विशेष चर्चा की गई तथा मुख्य अतिथि डॉ शरद नारायण खरे से एक छोटी सी भेंट वार्ता भी ली गई l और ऐसे सवाल सिद्धेश्वर ने पूछे कि नए कवियों को छँद कविताएं लिखने में मदद मिल सके l
सुप्रसिद्ध रचनाकार व संपादक सिद्धेश्वर जी से अपने इस ऑनलाइन कार्यक्रम में लंबी बातचीत करते हुए मंडला(मप्र)के कवि-लेखक प्रो.शरद नारायण खरे ने बताया कि वर्तमान में साहित्य तो बहुतेरा लिखा जा रहा है,पर अधिकांश निरर्थक व साहित्य के मापदंडों के बाहर का है।उनकी मान्यता है कि चाहे छंदबद्ध या मुक्तछंद में रचा जाए पर वह गुणपूर्ण होना चाहिए।कथ्य, लय, प्रवाह,बिम्ब के अभाव में सपाटबयानी वाली कविता को कविता मानना ही बेमानी है।वे कहते हैं कि आज के कवि/लेखक पढ़ने व सीखने की प्रवृत्ति से दूर हो गए हैं।वे दस-बीस कविताएँ लिखकर व कुछ डिजीटल सम्मान पत्र पाकर ही स्वयं को महान रचनाकार मानने के भुलावे में खोये हैं।जबकि सीखने से ही बेहतरी आती है।वैसे भी कवि/लेखक सदा विद्यार्थी होता है,उसे निरंतर सीखना चाहिए,तभी उसकी रचनाओं में स्तर का समावेश हो सकेगाl प्रो.शरद नारायण खरे ने न केवल दोहों,गीतों ,छंदों के विधानों पर चर्चा की बल्कि अपने दोहों,गीतों व ग़ज़लों के माध्यम से मात्रा-गणना करना व लय को पकड़कर दोषमुक्त रचना लिखना भी बताया।
मुख्यातिथि के रूप में शामिल प्रो.शरद नारायण खरे,जो मूलत: इतिहास के प्रोफेसर व वर्तमान में मध्यप्रदेश में डिग्री कॉलेज के प्रिंसिपल हैं,नेअन्य रचनाकारों की कविताओं का मनोयोग से न केवल श्रवण किया,बल्कि उन पर सार्थक टिप्पणियाँ भी कीं।
इस ऑनलाइन सम्मेलन के दूसरे सत्र में हेलो फेसबुक कवि सम्मेलन आयोजित की गई जिसमें एक दर्जन कवियों ने अपनी कविताओं से समां बांध दिया l इन कवियों में प्रमुख थे सर्व श्री एकलव्य केसरी ,डॉ पूनम श्रेयसी, डॉ सुधा पांडे , पुष्प रंजन आदि l
इनके अतिरिक्त सपना चंद्रा, , संतोष मालवीय, नमिता सिंह, इंदू उपाध्याय, योगराज प्रभाकर, रजनी श्रीवास्तव अनंता, माधुरी जैन, बीना गुप्ता, राज प्रिया रानी,डॉ गोरख प्रसाद मस्ताना,विजया कुमार विजय आदि ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज की और चर्चा में भाग लिया
[] प्रस्तुति : बीना गुप्ता [ जनसंपर्क अधिकारी : भारतीय युवा साहित्यकार परिषद, ]पटना!
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