7/25/25

Bihar Police : सिपाही भर्ती की लिखित परीक्षा में 29 अभ्यर्थी निष्कासित

Bihar Police : सिपाही भर्ती की लिखित परीक्षा में 29 अभ्यर्थी निष्कासित





बिहार पुलिस की लिखित परीक्षा बिहार के अलग अलग जिलों में चयनित परीक्षा स्थलों पर कराई जा रही हैं । सरकार के अथक प्रयास के बाद परीक्षाओं में चोरी किसी न किसी रूप में होती ही रही है । इसी तरह सिपाही भर्ती परीक्षा में 29 अभ्यर्थियों पर कार्रवाई की गई है। बिहार के भागलपुर जिले में 13 अभ्यर्थी निष्कासित किये गये हैं, जबकि तीन अन्य जिलों में 4 लोग गिरफ्तार भी किये गये हैं। पूरे बिहार में कुल 627 परीक्षा केन्द्रों बनाये गये हैं। 


बिहार पुलिस सिपाही भर्ती की लिखित परीक्षा के लिए एकल पाली में कुल 2 लाख 79 हजार 95 अभ्यर्थियों ने प्रवेश-पत्र निर्गत किया था, जिसमें से 2 लाख 49 हजार 51 अभ्यर्थियों ने ई-प्रवेश-पत्र डाउनलोड किया। आंकड़ों के मुताबिक अभ्यर्थियों की उपस्थिति निर्गत प्रवेश-पत्र की लगभग 80 प्रतिशत रही। परीक्षा शांति पूर्ण माहौल में हो इसके लिए जिले के डीएम और एसपी के नेतृत्व में जिला स्तर पर व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गई है।



 बताते चले कि परीक्षा केन्द्रों पर अभ्यर्थियों के प्रवेश के पहले जांच और तलाशी ली जाती है। वर्तमान में सभी अभ्यर्थियों की बायोमेट्रिक उपस्थिति भी दर्ज कराई जाती है। इसके साथ ही वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी करायी जाती है। कदाचारमुक्त परीक्षा के लिए सीसीटीवी की लाइव स्ट्रीमिंग कर निगरानी की भी व्यवस्था की गई है। परीक्षा संचालन की निगरानी के लिए पटना स्थित पर्षद मुख्यालय में कमांड एंड कंट्रोल रूम स्थापित भी किया गया है ।

परीक्षा के दौरान कदाचार के आरोप में 29 अभ्यर्थियों के विरुद्ध कार्रवाई की गई, जिनमें से 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जबकि 13 अभ्यर्थियों को निष्कासित किया गया है और 4 अभ्यर्थियों पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है। गिरफ्तार अभ्यर्थियों में पश्चिमी चंपारण से 2, कटिहार से 1 और सहरसा से 1 शामिल हैं। वहीं, भागलपुर में 13 अभ्यर्थियों को निष्कासित किया गया है। बिहार पुलिस सिपाही भर्ती की अब अगली परीक्षा 27 जुलाई को होगी।


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7/23/25

बिहार विधानसभा में विपक्ष गुस्से में , कहा सदन किसी के बाप का नही

 बिहार विधानसभा में विपक्ष गुस्से में , कहा सदन किसी के बाप का नही :


बिहार विधानसभा का मानसून सत्र की शुरू हो गई है । सदन की कार्यवाही के दौरान सरकार और विपक्ष के बीच जमकर हंगामा हुआ । इसके बाद सदन को विधानसभा अध्यक्ष ने स्थगित कर दिया । सदन स्थगन के बाद विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाया । प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव विधानसभा में हुए हंगामे पर गुस्से में नजर आए । उन्होंने कहा कि आज जो सदन की कार्यवाही हुई है उसमे सरकार द्वारा बिल्कुल भी सही भाषा का चयन नही किया गया है । आप सबने सदन की कार्यवाही देखी होगी। विजय सिंहा ने मुझे कहा कि यहीं बोलते रहेगा , ऐसी भाषा सदन के लिए ठीक नहीं है । सदन में अगर विपक्ष का नेता नहीं बोलेगा तो कौन बोलेगा?




आगे तेजस्वी यादव ने कहा कि अध्यक्ष ने डिप्टी सीएम और कई मंत्री को भी फटकार लगाया, हम तो अनुमति से बोल रहे थे, विजय सिन्हा को कुछ आता नहीं है सिर्फ कैमरा में बने रहने के लिए कुछ भी बोलते रहते हैं । उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति ठीक नही है । अब वो बिहार चलाने लायक नहीं है , सदन में सवाल पर कभी भी उठ कर बोलने लगे थे । मुख्यमंत्री को पता ही नहीं था ,सवाल क्या पूछा गया है और किस बात पर चर्चा हो रही थी बाकी पूरे सदन को पता था । 


राजद ने कहा कि हम लोग विधानसभा अध्यक्ष से आज मिलकर आग्रह किए कि जब हम बोल रहे थे तब मुख्यमंत्री उठ गए । शायद उनको पता भी नहीं होगा, किस बात पर चर्चा हो रही थी । तेजस्वी यादव ने अध्यक्ष महोदय को डिप्टी सीएम को फटकार लगाने पर धन्यवाद दिया । तेजस्वी यादव ने कहा कि उनके पिता का नाम थोड़े लिया है भाई वीरेंद्र ने, अध्यक्ष ने जब मुझे समय दिया तो डिप्टी सीएम ने मुझे क्यों रोका ?

अपने आइडिया से करना चाहते हैं कोई आविष्कार ? तो 28 जुलाई को सुनहरा मौका !

 Bihar Idea Festival : अपने आइडिया से करना चाहते हैं कोई आविष्कार ? तो 28 जुलाई को सुनहरा मौका !



यदि आपकी रुचि विज्ञान ( साइंस ) में है और आप काफी दिनों से किसी आईडिया पर काम कर रहे हैं या आपकी कोई आविष्कार की सोच है तो यह आपके लिए सुनहरा मौका है । आप विज्ञान के ज्ञान से किसी काम को आसानी से कर सकते हैं इससे सम्बंधित कोई मशीन बना सकते हैं जो आने वाले कल के लिए आवश्यक हो तो इस सुनहरा मौका को अपने हाथों से जाने नहीं देना चाहिए ।


बिहार के जमुई जिले में एक ऐसे मेले का आयोजन होने जा रहा है जिसमें सभी नव वैज्ञानिकों को ना सिर्फ तकनीकी मदद पहुंचाया जाएगा बल्कि उन्हें आर्थिक सहायता भी दी जाएगी । दरअसल, जमुई जिले में आगामी 28 जुलाई को बिहार आइडिया फेस्टिवल का आयोजन किया जाएगा ।


क्या होगा बिहार आइडिया फेस्टिवल में ?


जमुई जिला उद्योग केंद्र (DIC) द्वारा 28 जुलाई को बिहार आइडिया फेस्टिवल 2025 का आयोजन किया जा जाएगा जिसमें जमुई जिला मुख्यालय स्थित सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज के स्टार्टअप सेल में इस मेला का आयोजन होगा । इस मेला में जिला स्तर पर 500 नए नए विचारों को चयनित किया जाएगा । इन सभी विचारों को आगे बढ़ाने के लिए तकनीकी प्रशिक्षण, विशेषज्ञों का मार्गदर्शन और आवश्यक संसाधन भी प्रदान किए जाएंगे । इसके साथ ही चयनित प्रतिभागियों को अपने विचारों को व्यावसायिक मॉडल में बदलने का मौका मिलेगा ।


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आखिरकार नए बड़े चेहरे जनसुराज से ही क्यों जुड़ रहे हैं

 आखिरकार नए बड़े चेहरे जनसुराज से ही क्यों जुड़ रहे हैं ?



बिहार में चुनाव का बिगुल सभी राजनीतिक दलों ने फंक दिया है । ऐसे में सभी दलों में तेजी से लोग जुड़ते और निकलते नजर आ रहे हैं । बिहार के दो बड़े गठबंधन NDA और INDIA गठबंधन के बीच ही बिहार की राजनीति घूमती हुई हमेशा नजर आती हैं । इन सबके बावजूद दिलचस्प बात जनसुराज पार्टी में देखने को मिल रही है । हर दल में जो लोग जुड़ रहे हैं वो पहले किसी न किसी दल में रह चुके हैं लेकिन प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी में जुड़ने वाले का तादाद को जब आप देखेंगे तो पता चलेगा कि दूसरे दल से आए हुए लोग तो जुड़ ही रहे हैं मगर ऐसे लोग भी जुड़ते जा रहे हैं जो जीवन मे कभी भी राजनीति से उनका कोई सरोकार नहीं रहा है । 


चाहे बात बड़े अफसरों की हो या इंजीनियरों की , डॉक्टर हो या समाजसेवी , सिंगर हो या कलाकार , बुसिनेसमैन हो या आम आदमी , महिला हो या युवा , ऑटोवाला हो या स्कोर्पियो वाला , पंडित हो या मौलवी , हर वर्ग हर जाति हर समुदाय के लोग लगातार प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी से जुड़ते जा रहे हैं ।



जब भी कोई इंसान धन संपत्ति अच्छा खासा कमा लेता है तो उसकी पहली पसंद सत्तारूढ़ दल से या मजबूत विपक्षी दल स जुड़ना होता है ताकि उसे हर प्रकार की सुरक्षा मिल सके जबकि प्रशांत किशोर से लोग इन सबके बावजूद लगातार जुड़ते जा रहे हैं । 


ऐसे में सवाल सबके मन में है कि जनसुराज नए लोगों की पहली पसंद कैसे बनती जा रही हैं ?


इसे समझने के लिए 3 साल पहले चलते हैं जब जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने पैदल यात्रा शुरू की थी । उस पैदल यात्रा में प्रशांत किशोर को कोई बड़ी उपलब्धि नही मिली लेकिन गाँव गाँव में प्रशांत के नए विज़न वाले राजनीति की चर्चा पूरे बिहार में फैल गई । जनसुराज ने जाति आधारित राजनीति के जगह बिहार के विकास वाली राजनीति को चुना । प्रशांत किशोर ने शिक्षा , स्वास्थ्य , पलायन , बेरोजगारी जैसे मुद्दों को प्रमुखता से हर जगह उठाया । वही बात प्रशांत किशोर के व्यक्तित्व की करे तो उन्होंने आजतक कभी चुनाव नही लड़ा है जिस वजह से वे किसी भी राजनीतिक दल को आसानी से निशाना बना लेते हैं । 


पूर्व में प्रशांत किशोर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व लालू यादव और नीतिश कुमार , केजरीवाल , ममता बनर्जी समेत 12 मुख्यमंत्री को चुनाव जीताने में अहम भूमिका निभाई । इन सब का नतीजा रहा कि जितने भी नए लोगों का राजनीति में आने का मन हुआ वो प्रशांत किशोर की जनसुराज की तरफ उनका झुकाव बाकी राजनीतिक दलों की अपेक्षा काफी ज्यादा रहा । जनसुराज के नेताओं के अनुसार तो अभी कई मशहूर हस्तियों के जनसुराज में आना बाकी है । ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि इसबार बिहार चुनाव पहले की तरह NDA और INDIA के ईद गिर्द घूमती है या जनसुराज कोई कमाल कर पाती हैं ।


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7/22/25

सोशल मीडिया: जुड़ाव या दूरी का है माध्यम

 सोशल मीडिया: जुड़ाव या दूरी का है माध्यम


वर्तमान युग को यदि डिजिटल युग कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। तकनीक की इस दौड़ में सोशल मीडिया ने मानव जीवन में अभूतपूर्व स्थान बना लिया है। फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, ट्विटर (अब एक्स), यूट्यूब—इन सभी मंचों ने लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने का दावा किया और हद तक उन्हें जोड़ा भी, लेकिन क्या सच में यह जुड़ाव हमें करीब लाया या फिर किसी अदृश्य दूरी की खाई में धकेल दिया?


एक ओर सोशल मीडिया ने हमें सुदूर बैठे मित्रों और परिवार से संपर्क में रहने का सरल माध्यम दिया, वहीं दूसरी ओर, उसी घर में बैठे अपने ही लोगों से संवाद की परंपरा को धीरे-धीरे खत्म कर दिया। अब त्योहारों पर मिलने की बजाय स्टेटस और इमोजी से शुभकामनाएं दी जाती हैं। बातचीत की जगह रील्स और फॉरवर्डेड मैसेज ने ले ली है।



जहाँ एक तरफ यह माध्यम जन-जन की आवाज बन गया है, वहीं दूसरी ओर यह आभासी दुनिया हमें असली जीवन से काट रही है। हम लाइक, कमेंट और शेयर के पीछे भागते हुए उन भावनात्मक रिश्तों को खोते जा रहे हैं जो बिना शब्दों के भी बहुत कुछ कह जाते थे।


सोशल मीडिया ने एक नई पीढ़ी को पैदा किया है—जहाँ दिखावे का संबंध गहरा है, और सच्चे रिश्ते अक्सर अधूरे। लोग साथ में बैठे हैं, पर स्क्रीन में उलझे हैं; बातें हो रही हैं, पर संवाद नहीं। यह विडंबना नहीं तो और क्या है कि जो माध्यम जुड़ाव का साधन बना, वही धीरे-धीरे दूरी का कारण भी बन गया।


इसलिए अब समय आ गया है कि हम सोशल मीडिया का संतुलित उपयोग करें। इसे एक माध्यम की तरह लें, जीवन का आधार नहीं। तकनीक को अपनाएं, पर भावनाओं को न खोएं। जुड़ें जरूर—पर केवल स्क्रीन से नहीं, दिल से भी।

आलेख 

प्रेम ठक्कर "दिकुप्रेमी"

Surat, Gujarat



बिहार में युवा JDU के प्रदेश सचिव को EOU ने किया गिरफ्तार!

 शेयर बाजार की आड़ में जदयू युवा प्रदेश सचिव ने की करोड़ो की ठगी , सैकड़ो सिमकार्ड, खाते में 7 करोड़ रूपये , मोबाइल लेपटॉप हुए बरामद ।




बिहार आर्थिक अपराध इकाई ( EOU ) ने दूरसंचार विभाग के साथ मिलकर इस काम को अंजाम दिया । यह एक बहुत बड़ा साइबर क्राइम सिंडिकेट था जिसका पर्दाफाश EOU ने किया है । हर्षित कुमार या हर्षित मिश्रा सत्तारूढ़ दल जदयू के युवा प्रकोष्ठ का प्रदेश सचिव है । 


ईओयू पटना की टीम ने सुपौल जिले के करजाइन थाना क्षेत्र के गोसपुर गांव में बड़ी कार्रवाई करते हुए गांव के युवक हर्षित मिश्र को गिरफ्तार किया है। इनका परिवार किसानी करता है। हर्षित मिश्रा खुदको शेयर बाजार में काम करनेवाला बताता था । बताया जा रहा है कि यह करोड़ों की ठगी और साइबर अपराध से जुड़ा हुआ मामला है। अभी तक कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं ।


हर्षित मिश्रा के पास से क्या क्या हुआ बरामद  :


हर्षित के अकाउंट में 7 करोड़ रुपए आए थे । अधिकारियों की टीम ने शनिवार को दोपहर 2 बजे छापेमारी शुरू की और करीब पूरे एक दिन तक चली कार्रवाई में हर्षित के घर से दर्जनों सिम लगाने वाला गैजेट, सैकड़ों सिम कार्ड, दर्जनों मोबाइल, लैपटॉप, बायोमेट्रिक डिवाइस, नोट गिनने की मशीन के साथ कई अन्य सामान भी बरामद किए गए। हर्षित से पूछताछ करने पर उसने उस मोबाइल , लैपटॉप के बारे में भी जानकारी दी जिसमें बैंक खाता का विवरण था जिसमें 7 करोड़ रुपये जमा थे। यह खाता पहले ही साइबर पुलिस ने फ्रीज कर दिया था। इसी आधार पर टीम ने कार्रवाई की है। इस कार्रवाई में ईओयू पटना की टीम के करीब तीन दर्जन सदस्य, सुपौल एसपी और साइबर थाना के अधिकारी शामिल थे। कार्रवाई के दौरान ईओयू और स्थानीय पुलिस ने मीडिया से कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। पूछताछ और कागजी प्रक्रिया के बाद हर्षित को पटना ले जाया गया। इसको लेकर करजाईन थानाध्यक्ष लालजी प्रसाद ने बताया कि मामला आर्थिक इकाई का है। इससे पहले उसका किसी प्रकार की अपराधिक इतिहास इस थाने में दर्ज नहीं है।



शेयर बाजार में काम करने के लिए अपने पिता से जमीन बिकवाकर लिया था रुपया



स्थानीय लोगों के मुताबिक, हर्षित 27 साल का है जिनके पिता विकास मिश्र है । पिता किसान हैं। दादा घनश्याम मिश्र पंचायत के मुखिया रह चुके हैं। पहले परिवार के पास 50 बीघा से ज्यादा जमीन थी, जो धीरे-धीरे बिक गई। पढ़ाई के लिए हर्षित को फारबिसगंज और फिर पटना भेजा गया। तीन साल पहले हर्षित ने पिता से जमीन बिकवाकर शेयर ट्रेडिंग के नाम पर पैसे लिए। इसके बाद वह कभी-कभी गांव आता था। पूरे गाँव मे उसके कामकाज की किसी को भी कोई जानकारी नहीं थी। लोगों ने आगे बताया कि वह पहले भाजपा में जब था तो स्कोर्पियो गाड़ी में सुरक्षाबल के साथ चलता था जिससे हमलोगों को लगा कि शेयर बाजार में बहुत रुपया कमाया है । भाजपा के बाद वह जदयू में शामिल हुए और अचानक उसे युवा प्रदेश सचिव बना दिया गया ।


हर्षित के पिता ने इसे राजनीतिक साजिश बताया 



हर्षित के पिता विकाश मिश्र ने बताया कि उनका बेटा 4 साल से गाँव मे रहकर रियल एस्टेट का धंधा कर रहा है । उसका इन साइबर फर्जी से कोई लेना देना नही है । जब से उसे जदयू का प्रदेश सचिव बनाया गया है तबसे ही कुछ लोग राजनीतिक साजिश के तहत उसे फँसाना चाहते थे।

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7/21/25

पढ़िए पूर्णिया जिला के बनमनखी स्थित बाबा धीमेश्वर नाथ महादेव मंदिर के इतिहास के बारे में

पढ़िए पूर्णिया जिला के बनमनखी स्थित बाबा धीमेश्वर नाथ महादेव मंदिर के इतिहास के बारे में 


बनमनखी के धीमा ग्राम में भगवान महादेव को समर्पित मंदिर है जिन्हें स्थानीय ग्रामीण बाबा धीमेश्वर नाथ कहते हैं । इस मंदिर में पूजापाठ और दर्शन के लिए लोग पूर्णिया ही नही बल्कि अलग अलग जिलों से आते है । खासकर एक मान्यता है कि कटिहार के मनिहारी गंगा घाट से जल लेकर कांवरिये बनमनखी आकर धीमेश्वर धाम में जलाभिषेक करते है उनकी सारी मनोकामना महादेव पूर्ण करते हैं जिस कारण आज भी इस परंपरा को हजारों श्रद्धालु निभा रहे हैं । स्थानीय लोगों का भी ऐसा मानना है कि यहां जलाभिषेक करने से उनकी दिल से मांगी मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं । यही कारण है कि धीमा में भगवान महादेव पर जलाभिषेक करने लोग दूर दूर से आते हैं ।



धीमा शिव मंदिर का रहा है पुराण इतिहास 

पुराने समय मे यह जगह पूरी तरह से जंगलों से भरा हुआ था । आज भी मंदिर के चारों तरफ आपको बहुत कम ही घर मिलेंगे । यहां आसपास की अधिकांश जमीन पर खेतीबाड़ी होती है । बहुत पहले खेतीबाड़ी करने के दौरान एक किसान का कुदाल किसी चीज़ से टकराया जिससे तेज ध्वनि उत्पन्न हुई जिसके बाद खोदने पर वहां शिवलिंग प्राप्त हुई थी तभी से इस आपरूपी शिवलिंग की मंदिर में स्थापना की गई । शुरुवात में एक झोपड़ीनुमा मंदिर में इस शिवलिंग की स्थापना की गई थी । बाद में स्थानीय बुजुर्ग शिवभक्त बाबा प्रताप झा द्वारा आमजनों के सहयोग से मंदिर निर्माण किया गया जो आज पूर्णिया प्रमंडल के लोगों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है ।


वर्ष 2018 में धीमा शिव मंदिर मेला को श्रावणी महोत्सव में बिहार सरकार द्वारा किया गया शामिल 


धीमा मंदिर की बढ़ती लोकप्रियता के कारण यहां एक माह तक सरकारी खर्च पर श्रावणी मेला का आयोजन किया जाता हैं । यहां शिवभक्तों के लिए मेला का इंतेजाम के साथ साथ उनके ठहरने की भी व्यवस्था की जाती है । इन्हीं कारणों से हाल में यहां पर पूजा करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ी है।


मंदिर तक पहुँचने में क्या है परेशानी 

अगर पूर्णिया के तरफ से लोग धीमा मंदिर जाते हैं तो कई वर्षों से बन रही सड़क मार्ग का कार्य अभी तक पूरा नही हुआ है जिस कारण से रास्ते मे जगह जगह पर जलजमाव की स्थिति सामान्य बात है । वैसे भक्तों को ज्यादा परेशानी होती हैं जो नंगे पांव जलाभिषेक करने आते हैं ।


वहीं दूसरी तरफ बनमनखी बाजार के तरफ से धीमा आते हैं तो रास्ते में सड़क किनारे ही मछली , मुर्गा और मांस बेचा जाता है जिसके अवशेष सड़को पर देखने को मिल जाती हैं ऐसे में स्थानीय लोगों ने इसका विरोध जताया है और सावन भर के लिए इसे बंद करने या दूसरे जगह शिफ्ट करने की मांग की है ।


राजा कुमार,

साहित्य आजकल टीम ।


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पूर्णिया में डायन बताकर 5 लोगों की हत्या के बाद अब 5 लोगों पर एसिड अटैक

पूर्णिया में डायन बताकर 5 लोगों की हत्या के बाद अब 5 लोगों पर एसिड अटैक



बीते दिन 6 जुलाई 2025 को पूर्णिया के टेटगामा गाँव मे एक ही परिवार के पांच लोगों की ' डायन बताकर ' हत्या की गई थी । यह घटना अभी पूर्णिया के लोगों ने भुला नहीं था कि एक और घटना सामने आ गई । 


पूर्णिया : बिहार के पूर्णिया से बड़ी दिल दहलाने वाली खबर आ रही है जिसमें पूर्णिया के बड़हरा कोठी ( बी कोठी ) थाना क्षेत्र के बड़हरा बाजार में एसिड अटैक में 5 लोग घायल हो गए हैं । 


जानिए क्या है पूरा मामला 


तीन दोस्त नीलेश , मृत्युंजय और हिमांशु बड़हरा बाजार कुछ दिन पहले गए थे जहाँ उनका एक मामूली झगड़ा वहां के ज्वेलरी दुकान के मालिक राजीव स्वर्णकार से हुआ था जिसके बाद राजीव स्वर्णकार ने जातिवाचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए धमकी दी कि इधर आओगे तो पीटे जाओगे । देर शाम शनिवार को नीलेश फिर बड़हरा बाजार गया था जहां उनका झगड़ा राजीव स्वर्णकार और उसके परिजनों से भी हो गया । आमलोगों के अनुसार उसी वक्त बीच बचाव में जब मृत्युंजय और हिमांशु आए तो इस झगड़े ने और तूल पकड़ा । इसके बाद वहां मौजूद एक बुजुर्ग और महिला ने भी बीच बचाव का प्रयास किया । इसी समय राजीव स्वर्णकार और उसके परिजनों ने तेजाब फेंक दिया जिससे तीनों दोस्त मुख्य रूप से घायल हो गए । साथ साथ तेजाब का कुछ छींटा बीच बचाव में आए बुजुर्ग और महिला पर भी पर गया जिस कारण से पांच लोग घायल हो गए । तीनों घायलों को GMCH में एडमिट कराया गया है ।


वही बड़हरा थाना अध्यक्ष संजय कुमार ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि नीलेश के पिता सिपिन दास ने चार लोगों पर प्राथमिकी दर्ज करवाई है जिसमें से तीन मुख्य आरोपी राजीव स्वर्णकार, पंचानंद स्वर्णकार और कुंदन स्वर्णकार को गिरफ्तार कर लिया गया है लेकिन एक आरोपी शक्ति स्वर्णकार अभी भी फरार है जिसकी गिरफ्तारी भी जल्द कर ली जाएगी ।


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प्रशांत किशोर का दिलीप जैसवाल के साथ साथ संजय जैसवाल पर भी बड़ा हमला :

प्रशांत किशोर का दिलीप जैसवाल के साथ साथ संजय जैसवाल पर भी बड़ा हमला :


जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जैसवाल पर अपने पहले प्रेस कांफ्रेंस में माता गुजरी मेडिकल कॉलेज को 25 वर्षों से कब्जा करने का आरोप लगाया और दूसरे प्रेस कॉन्फ्रेंस में जमीन कब्जा के मामले में राजेश साह की हत्या का आरोप उनके परिजनों और प्रशांत किशोर द्वारा दिलीप जैसवाल पर लगाया गया है।

इनदोनों आरोपों से परेशान दिलीप जैसवाल सहित बिहार भाजपा द्वारा अभी तक कोई ढंग का जवाब नही दिया गया है । दिलीप जैसवाल ने अपना पक्ष रखते हुए सबकुछ न्यायालय और भगवान पर छोड़ दिया है । उन्होंने कहा कि भगवान सबकुछ देख रहे हैं वो न्याय करेंगे । मेरे छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है । 



क्या है संजय जैसवाल पर प्रशांत किशोर का आरोप :


20 जुलाई को पश्चिम चंपारण के बेतिया में जनसुराज द्वारा प्रेस वार्ता की गई । जिसमें एक पत्रकार ने जब संजय जैसवाल द्वारा दिलीप जैसवाल के समर्थन वाले फेसबुक पोस्ट के बारे में पूछा तो प्रशांत किशोर ने संजय जैसवाल पर तीखा हमला किया । क्रिकेट का उदाहरण देते हुए पीके ने कहा कि जिस तरह क्रिकेट में रिटायर्ड हर्ट वाले बल्लेबाज को आउट हो चुके बल्लेबाज रनर के लिए मिलता है उसी तरह संजय जैसवाल आउट हो चुके हैं और अपने राजनीतिक बड़े भाई दिलीप जैसवाल को बचाने की कोशिश कर रहे हैं । वही पीके ने आगे कहा कि जब मैं पश्चिम चंपारण में पैदल यात्रा कर रहा था तो इनके काले चिट्ठों की भी जानकारी मेरे पास है । पीके ने संजय जैसवाल के पेट्रोल पंप के साथ साथ उनके नर्सिंग होम में क्या क्या गरबर होता है , सारी जानकारी मेरे पास है ।


ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि क्या प्रशांत किशोर अब संजय जैसवाल पर आनेवाले दिनों में कोई बड़ा प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे ?


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7/19/25

डोमिसाइल के साथ TRE 4 विज्ञापन की माँग को लेकर युवाओं का ट्विटर पर महा आंदोलन! सरकार पर बढ़ा दबाव!

 TRE 4 को ले सभी युवाओं का डिजिटल महायुद्ध: #ReleaseTre4WithDomicile से गरजा ट्विटर!


डोमिसाइल के साथ TRE 4 विज्ञापन की माँग को लेकर युवाओं का ट्विटर पर महा आंदोलन! सरकार पर बढ़ा दबाव!

साहित्य आजकल | 19 जुलाई 2025

बिहार के लाखों शिक्षित युवाओं के लिए शिक्षक नियोजन परीक्षा (TRE 4) सिर्फ एक नौकरी नहीं, बल्कि आत्मसम्मान की लड़ाई बन चुकी है। राज्य भर में अभ्यर्थियों ने #ReleaseTre4WithDomicile के तहत ट्विटर पर आंदोलन छेड़कर यह स्पष्ट संदेश दिया है—बिहार में बिहार के युवाओं को ही मौका मिलना चाहिए।


बिहार के लाखों युवाओं ने कहा कि TRE 4 परीक्षा अब डोमिसाइल नीति के साथ ही स्वीकार होगी। TRE 1, 2 और 3 की परीक्षाओं में जहाँ बाहरी राज्यों से आए अभ्यर्थियों ने भारी संख्या में आवेदन कर बिहार के स्थानीय अभ्यर्थियों का हक छीना, वहीं TRE 4 को लेकर अब बिहार के युवाओं ने 'हमारा राज्य, हमारी नौकरी' का नारा बुलंद कर दिया है। वोट दे बिहारी नौकरी करे बाहरी नहीं चलेगा!


आज दिनभर ट्विटर पर #ReleaseTre4WithDomicile हैशटैग ट्रेंड करता रहा। दोपहर तक यह हैशटैग भारत के टॉप ट्रेंड्स में शामिल हो गया और लाखों बिहार के अभ्यर्थियों ने एकजुट होकर सरकार से माँग की—TRE 4 परीक्षा का विज्ञापन तुरंत जारी हो और उसमें 100% डोमिसाइल अनिवार्य किया जाए।


B.Ed, D.El.Ed और STET उत्तीर्ण कर चुके अभ्यर्थी वर्षों से शिक्षक बनने का सपना देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि TRE 4 की देरी उनके करियर और मनोबल दोनों को तोड़ रही है। TRE 3 तक में बाहरी राज्यों के छात्रों की भागीदारी से बिहार के योग्य अभ्यर्थी पीछे रह गए। अब जब TRE 4 की तैयारी हो रही है, तो सरकार को चाहिए कि वह इस बार केवल बिहार के स्थायी निवासियों को ही पात्रता दे।


डोमिसाइल क्यों जरूरी है?

1. बेरोजगारी का सबसे बड़ा भार बिहार के युवाओं पर है

औरों की तरह बिहार को भी अपने युवाओं को प्राथमिकता देनी चाहिए।

2. अन्य राज्यों में पहले से लागू है डोमिसाइल नीति

झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड जैसे राज्य अपने ही निवासियों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता देते हैं।


3. स्थानीय शिक्षक, बेहतर शिक्षा

बिहार के समाज, भाषा और संस्कृति को समझने वाले शिक्षक ही स्थानीय बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे सकते हैं।


4. पलायन नहीं, अवसर चाहिए

पढ़े-लिखे बिहार के युवाओं को पलायन नहीं करना पड़े, इसके लिए यही समय है डोमिसाइल लागू करने का।


सरकार ने कहा है “जल्द होगा TRE 4”, लेकिन युवा पूछ रहे—कब और कैसे?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और शिक्षा मंत्री ने हाल में संकेत दिया है कि TRE 4 परीक्षा जल्द कराई जाएगी। साथ ही डोमिसाइल नीति को लेकर भी मंथन चल रहा है। लेकिन युवाओं की माँग है कि सिर्फ़ घोषणा नहीं, ठोस अधिसूचना चाहिए, जिसमें यह स्पष्ट हो कि केवल बिहार के स्थायी निवासी ही पात्र होंगे।


 साहित्य आजकल की अपील:


TRE 4 परीक्षा अब एक सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि बिहार के युवाओं की अस्मिता और अधिकार का प्रश्न बन चुकी है।

सरकार को चाहिए कि वह युवाओं की इस एकजुट आवाज़ को सुने और TRE 4 का विज्ञापन 100% डोमिसाइल नीति के साथ अविलंब जारी करे।


अगर आप भी इस मुद्दे से जुड़े हैं, या अपनी आवाज़ दर्ज कराना चाहते हैं, तो हमें WhatsApp करें: 9709772649

 साहित्य आजकल, आपकी आवाज़ का मंच है।

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TRE 4 से पहले STET मुद्दा देशभर में नंबर एक पर करता रहा ट्रेंड !

TRE 4 से पहले STET मुद्दा देशभर में नंबर एक पर करता रहा ट्रेंड !  देशभर के युवाओं ने सरकार से STET परीक्षा की जल्द तिथि घोषित करने की मांग की! 



Sahitya Aajkal 19 जुलाई 2025

बिहार सहित देशभर के लाखों युवाओं ने शिक्षक बनने के अपने सपनों को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर #ReleaseSTET ट्रेंड करता रहा। इस ट्रेंड के माध्यम से युवाओं ने जोरदार ढंग से यह मांग उठाई कि बिहार सरकार TRE-4 भर्ती प्रक्रिया से पहले STET परीक्षा का आयोजन अविलंब करे।


युवाओं का आक्रोश और स्पष्ट मांग

इस ट्विटर अभियान में भाग लेने वाले युवाओं ने लगातार यह ट्वीट किया कि अगर सरकार TRE-4 के माध्यम से शिक्षकों की बहाली करना चाहती है तो उससे पहले STET परीक्षा का आयोजन अनिवार्य रूप से कराया जाए, ताकि वे अभ्यर्थी जो अब तक परीक्षा नहीं दे पाए हैं, वे भी योग्य बन सकें और समान अवसर मिल सके।


ट्वीट्स में यह भी कहा गया कि

> "TRE 4 के रास्ते तब ही खुलेंगे, जब STET का दरवाज़ा खुलेगा। सरकार परीक्षा की तिथि घोषित करे!"


छात्रों का तर्क

अभ्यर्थियों का मानना है कि यदि STET परीक्षा में देरी होती रही, तो हज़ारों ऐसे युवा इससे वंचित रह जाएंगे जो TRE-4 के माध्यम से शिक्षक बनने की पात्रता प्राप्त करना चाहते हैं। परीक्षा के माध्यम से ही पात्रता तय होती है और उसमें देरी सीधे तौर पर युवाओं के भविष्य को प्रभावित करती है।


क्या कह रही है सरकार?

फिलहाल बिहार सरकार की ओर से STET परीक्षा को लेकर कोई स्पष्ट तिथि घोषित नहीं की गई है। हालांकि शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों ने यह संकेत जरूर दिए हैं कि परीक्षा की प्रक्रिया पर विचार चल रहा है, लेकिन कोई ठोस घोषणा अब तक सामने नहीं आई है। यही अनिश्चितता युवाओं के भीतर असंतोष और चिंता को जन्म दे रही है।


आंदोलन को मिल रहा व्यापक समर्थन

इस ट्विटर अभियान को केवल बिहार ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और दिल्ली सहित देशभर के अभ्यर्थियों का समर्थन मिला। बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों, शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस मांग को जायज़ ठहराया और सरकार से यथाशीघ्र निर्णय लेने की अपील की।


निष्कर्ष क्या है

STET परीक्षा शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ है और इसके बिना योग्य शिक्षकों की बहाली की प्रक्रिया अधूरी रह जाती है। ऐसे में सरकार की ज़िम्मेदारी बनती है कि वह युवाओं की भावनाओं और भविष्य को प्राथमिकता देते हुए जल्द से जल्द STET परीक्षा की तिथि की घोषणा करे। अन्यथा, यह आंदोलन और तेज़ी पकड़ सकता है।

📌 खास बिंदु:

हैशटैग: #ReleaseSTET

मांग: STET परीक्षा की तिथि जल्द घोषित हो

संदर्भ: TRE-4 भर्ती प्रक्रिया से पहले STET ज़रूरी

स्थिति: सरकार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक तिथि नही

यदि आप भी इस आंदोलन का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो सोशल मीडिया पर अपनी आवाज़ उठाइए और संबंधित मंत्रालयों को टैग करते हुए #ReleaseSTET लिखिए। और sahitya Aajkal को टैग कीजिए!


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7/18/25

बिहार में सरकारी नौकरी में 100% डोमिसाइल की उठी मांग! TRE-4 पर सरकार गंभीर, शिक्षा मंत्री ने लीगल ओपिनियन लिया

 बिहार में सरकारी नौकरी में 100% डोमिसाइल की उठी मांग! TRE-4 पर सरकार गंभीर, शिक्षा मंत्री ने लीगल ओपिनियन लिया


  विशेष संवाददाता | साहित्य आजकल। 

बिहार की राजनीति और प्रशासनिक हलकों में इस समय सबसे ज़्यादा चर्चा "डोमिसाइल नीति" को लेकर है। शिक्षक भर्ती परीक्षा TRE-4 के माध्यम से उठे इस मुद्दे ने अब एक राज्यव्यापी जनआंदोलन का रूप ले लिया है। बिहार के लाखों युवाओं की एक ही मांग है — “राज्य की हर सरकारी नौकरी में 100% डोमिसाइल अनिवार्य किया जाए।”


इस मांग को लेकर सोशल मीडिया पर अभूतपूर्व अभियान चल रहा है। ट्विटर (एक्स) से लेकर फेसबुक और यूट्यूब तक, हर जगह युवा अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं।


डोमिसाइल को लेकर युवाओं में गुस्सा, TRE-4 बना चिंगारी


TRE-4 (Teachers Recruitment Exam – 4) ने इस मुद्दे को तूल दे दिया। जैसे ही यह खबर आई कि शिक्षक बहाली में बिहार के बाहर के अभ्यर्थी भी शामिल हो रहे हैं, बिहार के छात्र संगठनों और बेरोज़गार युवाओं में गहरा असंतोष पैदा हुआ। सैकड़ों सोशल मीडिया पेज, चैनल और छात्र समूह एक ही आवाज़ में बोल उठे: "जब हमारी पढ़ाई बिहार में, हमारी बेरोज़गारी बिहार की — तो नौकरियाँ भी हमारी होनी चाहिए!" वोट दे बिहारी नौकरी करे बाहरी क्यों???



#बिहार_मांगे_डोमिसाइल जैसे हैशटैग एक के बाद एक ट्रेंड करने लगे। युवाओं ने साफ़ कहा कि अब बिहार में सभी सरकारी नौकरियों में डोमिसाइल नीति अनिवार्य होनी चाहिए।


 शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने लिया लीगल ओपिनियन


बिहार सरकार इस आंदोलन को अब हल्के में नहीं ले रही। शिक्षा मंत्री प्रो. सुनील कुमार ने खुलकर स्वीकार किया कि TRE-4 में डोमिसाइल की मांग पूरी तरह न्यायोचित और गंभीर है। उन्होंने प्रेस से बातचीत में कहा: "हम इस विषय पर विधिक राय (Legal Opinion) ले रहे हैं। सरकार युवाओं के भविष्य को लेकर प्रतिबद्ध है।"


सूत्रों के अनुसार, विभागीय स्तर पर एक विशेष टीम बनाई गई है जो संविधान, न्यायालयों के पुराने निर्णय और अन्य राज्यों की डोमिसाइल नीतियों का अध्ययन कर रही है।


 मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घोषणा से जागी उम्मीद


TRE-4 विवाद के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वयं ट्वीट करते हुए कहा: "राज्य के युवाओं की नौकरी के हक़ को लेकर सरकार संवेदनशील है। TRE-4 की प्रक्रिया की गहन समीक्षा की जा रही है। छात्रों की भावनाओं का सम्मान किया जाएगा।" मुख्यमंत्री का यह बयान सीधे तौर पर यह संकेत देता है कि सरकार इस बार कोई ठोस कदम उठा सकती है।


 डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा भी सक्रिय


उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने ट्वीट कर युवाओं को आश्वस्त किया कि: "TRE-4 से जुड़ी युवाओं की हर मांग पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। हम युवाओं की आकांक्षाओं के साथ हैं।"


वहीं डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने भी स्पष्ट कहा:


> "राज्य के युवाओं को उनका हक़ मिलेगा। हम डोमिसाइल पर निर्णय के बिल्कुल करीब हैं। मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में यह सरकार युवाओं की सरकार है।"


अन्य राज्यों में डोमिसाइल: बिहार क्यों पीछे?

देश के कई राज्यों में डोमिसाइल नीति पहले से लागू है, जैसे महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, हरियाणा और झारखंड। वहां स्थानीय निवास प्रमाणपत्र के बिना किसी बाहरी उम्मीदवार को सरकारी नौकरी मिलना लगभग असंभव है। ऐसे में बिहार के युवाओं का यह सवाल बिल्कुल जायज़ है:

 "जब अन्य राज्यों ने अपने युवाओं को प्राथमिकता दी है, तो बिहार क्यों नहीं?


📌 निष्कर्ष: क्या 100% डोमिसाइल अब होगा बिहार में लागू?

TRE-4 ने एक नया सामाजिक दबाव और राजनीतिक चेतना पैदा की है। सरकार के शीर्ष नेतृत्व से लेकर प्रशासन तक, सभी इस पर सक्रिय दिख रहे हैं। यदि शिक्षा मंत्री की कानूनी राय सकारात्मक रहती है, तो बहुत जल्द बिहार में सभी सरकारी नौकरियों में डोमिसाइल लागू किया जा सकता है।


 साहित्य आजकल की राय:


बिहार के युवाओं को अब सिर्फ़ बयान नहीं, आदेश चाहिए।

TRE-4 के बहाने उठी यह आवाज़, पूरे राज्य में "रोज़गार में न्याय" की मांग बन चुकी है।

सरकार को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि बिहार की नौकरियाँ सिर्फ बिहार के युवाओं को मिलें।

✍️ रिपोर्ट: साहित्य आजकल न्यूज़ टीम

📌 अपडेटेड: 17 जुलाई 2025


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6/15/25

पूर्णिया कॉलेज सभागार में "समय के रंग " पुस्तक पर परिचर्चा एवं काव्य गोष्ठी हुई आयोजित


पूर्णिया कॉलेज सभागार में "समय के रंग " पुस्तक पर परिचर्चा एवं काव्य गोष्ठी हुई आयोजित! कवियों ने दी बेहतरीन प्रस्तुति 


  Sahitya Aajkal News -    पूर्णियां कॉलेज सभागार में आज कवि रंजित तिवारी की प्रथम कविता - संग्रह " समय के रंग " पर पुस्तक - परिचर्चा एवं काव्य गोष्ठी चटकधाम साहित्यिक चौपाल , रचनाकार प्रकाशन और पूर्णियां कॉलेज के संयुक्त तत्त्वाधान में आयोजित की गई । आमंत्रित अतिथियों का स्वागत सम्मान, दीप प्रज्ज्वलन के पश्चात कवयित्री अंजू दास गीतांजलि द्वारा सरस्वती वंदना पाठ के साथ ही कार्यक्रम की शुरुआत हुई । कार्यकम दो सत्र में संपन्न हुआ, प्रथम सत्र पुस्तक परिचर्चा एवं द्वितीय सत्र काव्य- गोष्ठी रही ।


अध्यक्षता क्रमशः श्री विजय नंदन प्रसाद (सेवानिवृत निदेशक आकाशवाणी पूर्णिया ) और डॉ प्रो शंभु कुशाग्र जी कर रहे थे ।  कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में श्री निखिल रंजन (प्राचार्य विद्या विहार रेजिडेंशियल स्कूल , परोरा ,पूर्णिया) उपस्थित रहे। मंच संचालन क्रमशः युवा शायर शम्स तबरेज सालेहपुरी (फलका ,कटिहार ) एवं गोविंद जी (वरिष्ठ रंगकर्मी ) ने किया ।  



कविता- संग्रह में संग्रहित कविताओं पर श्री राम नरेश भक्त (सेवानिवृत जिला शिक्षा कार्यक्रम एवं वरिष्ठ साहित्यकार) , श्री निखिल रंजन (प्राचार्य VVRS परोरा ,पूर्णिया) ,श्री एस० एल० वर्मा (प्राचार्य पूर्णिया कॉलेज पूर्णिया ) संस्कृत प्राध्यापिका श्रीमती निरुपमा राय , प्रो सुरेंद शोषण (आर के के कॉलेज ), डॉ कमल किशोर चौधरी (वरिष्ठ साहित्यकार), श्री यमुना प्रसाद बसाक (वरिष्ठ साहित्यकार ), श्री गिरीश कुमार सिंह (पूर्व प्राचार्य VNC कॉलेज धमदाहा) श्री महेश विद्रोही (वरिष्ठ साहित्यकार ) एवं संजय सनातन ने अपने अपने व्याख्यान दिए ।



लेखकीय उद्बोधन में कवि रंजित तिवारी ने कविता- संग्रह संदर्भित मनोभाव व्यक्त किए । श्री विजय नंदन प्रसाद द्वारा अध्यक्षीय उद्बोधन और गोविंद जी (वरिष्ठ रंगकर्मी ) के धन्यवाद ज्ञापन के साथ गोविंद जी के ही संचालन में कवि गोष्ठी आरंभ हुआ, डॉ निरुपमा राय, दिव्या त्रिवेदी, अंजू दास गीतांजलि, नीतू रानी, शम्स तबरेज सालेहपुरी, दिनकर दीवाना , युवा कवि हरे कृष्ण प्रकाश, महेश विद्रोही, संजय सनातन, श्री गिरीश सिंह, श्री यमुना प्रसाद बसाक, श्री पाठक, श्री राम नरेश भक्त, श्री विजय नंदन प्रसाद, श्री शंभु कुशाग्र जी के साथ साथ कवि रंजित तिवारी ने अपनी अपनी रचना पाठ से कार्यक्रम को यादगार बना दिए । मौके पर कवि -पत्नी श्रीमती अपर्णा राज राव ने अपने वक्तव्य में शुभकामनाएं व्यक्त की एवं पुत्र अक्षत सौम्यन ने अपनी छोटी सी कविता से सबका मन जीत लिया । रचनाकार प्रकाशन ने कवि - पत्नी को शॉल भेंट कर सम्मानित किया ।


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4/22/25

लघुकथा के छोटे कलेवर में भी सकारात्मक दृष्टि रखती है गार्गी रॉय : : सिद्धेश्वर

 लघुकथा के छोटे कलेवर में भी सकारात्मक दृष्टि रखती है गार्गी रॉय : : सिद्धेश्वर 


         पटना : 21/04/25 l अत्याचार,भ्रष्टाचार, बलात्कार,हिंसा पुलिस की हैवानियत, दान - दहेज आदि इस तरह के ढेर सारे विषय लघुकथा के केंद्र में रहे हैं l इसमें कोई शक नहीं कि ये सारी विसंगतियां  व्यक्ति और समाज की देन है l और लघुकथा हो या साहित्य की कोई भी अन्य विधा, विसंगतियों पर प्रहार करना उसका पहला धर्म है l और इस धर्म को निभाने में साहित्यकारों ने कोई कसर नहीं छोड़ा है। विषय एक होते हैं लेकिन उसे देखने की दृष्टि, प्रत्येक रचनाकार की, अलग-अलग होती है l लगभग एक तथ्य पर होते हुए भी ढेर सारी रचनाएँ अलग-अलग मौलिक चिंतन लिए हुए होती है l संवाद अदायगी और प्रस्तुति का ढंग रचना को मौलिक बनाती है l आज के अधिकांश कवि हो या फिर लघुकथाकार यहीं पर चूक जा रहे हैं, और फिर उनकी रचना अच्छी होते हुए भी बोझिल प्रतीत होती है l मुझे प्रसन्नता है कि युवा रचनाकारों के बीच, गार्गी रॉय अपनी मौलिक पहचान लेकर उभर रही हैं l यथार्थवादी सच्चाई की वह जीवंत लेखिका है l

   भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्ववधान में गूगल मीट के माध्यम से फेसबुक के अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका के पेज पर, " अप्रैल माह का हेलो फेसबुक लघुकथा सम्मेलन का संचालन करते हुए संयोजक सिद्धेश्वर ने उपरोक्त उद्गार व्यक्त किये l

                     अपने अध्यक्षीय टिप्पणी में लेखिका गार्गी राय  ने कहा कि लघुकथा से संदर्भित सिद्धेश्वर की सारगर्भित डायरी के पश्चात,सर्वप्रथम गोष्ठी के मुख्य अतिथि योगराज प्रभाकर से लघुकथा ‘अनसुना-गीत ‘सुनने का मौक़ा मिला जिसमें आज की मरती संवेदना का वर्णन है।शीर्षक से लेकर पंचलाइन तक सबकुछ उम्दा । सुधा पांडे जी की लघुकथा जिसका शीर्षक है ‘खाली दिमाग़ शैतान का ‘जो मुहावरे पर आधारित है।

 नलिनी श्रीवास्तव जी की लघुकथा ‘नया कलेवर ‘है जिसमें दो निर्जीवों की आपसी संवाद है और ये अंत में पता चलता है और किताबों के महत्व को बताते हुए लैपटॉप में सभी सुरक्षित होने की बात कही है।

निर्मल कुमार दे  की ‘पहली-पगार’ है जिसमें उन्होंने बेटा ही नही बेटी भी अपने माता-पिता को पहली पगार दे सकती है का चित्रण है । एक प्रेरित करती लघुकथा है ।

वर्षा-अग्रवाल जी की लघुकथा ‘निर्णय ‘है जिसमें लघुकथा पुरानी होते हुए भी नई कलेवर के साथ प्रस्तुत की गई है।

ऋचा वर्मा की लघुकथा ‘पेंशन ‘में एक लालची बेटे और माँ का मार्मिक चित्रण है ।माँ का अंतिम संवाद “अउर बेटवा तो अईबे  करेगा...गहूँ तैयार होने के बाद "मर्म स्पर्शी है ।

आदरणीय बालेश्वर गुप्ता जी की लघुकथा ‘घर की मालकिन ‘  नए विषय पर आधारित है।जिसमें बहू को घर की मालकिन समझने की बात कही गई है जो निःसंदेह समाज में एक आदर्श प्रस्तुत करेगा लेकिन वर्तनी,कोमा,इन्वर्टेड कोमा का विशेष ध्यान देना होगा 

 रश्मि लहर जी की ‘विश्वास ‘एक नेत्रहीन पति और उसकी कामयाब पत्नी की है जो अपनी पत्नी पर शक नही करता बल्कि विश्वास करता है ।बहुत छोटी परंतु सार्थक लघुकथा है ।

राजप्रिया रानी की लघुकथा ‘चालान ‘ में कथानक का चुनाव अच्छा है l"


अपने पटल पर हर बार एक वरिष्ठ साहित्यकार को मुख्य अतिथि के रूप में पेश कर सिद्धेश्वर जी नवोदित साहित्यकारों के लिए बहुत बड़ा कार्य कर रहे हैं उन्हे साधुवाद है। 

  हेलो फेसबुक लघुकथा सम्मेलन में ऑनलाइन लघुकथा पाठ करने वाले के अतिरिक्त अन्य कवियों में प्रमुख थे - विज्ञान व्रत , हजारी सिंह, इंदु उपाध्याय, पदमज़ा शर्मा, श्रीकांत, नवनीत,सुनील कुमार उपाध्याय पूनम वर्षा संजय राय जिज्ञासा संजय कुमार आदि गरिमाम‌यी उपस्थिति रही l

आदि l

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प्रस्तुति : बीना गुप्ता जन संपर्क पदाधिकारी /भारतीय युवा साहित्यकार परिषद / पटना /  बिहार  /  

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4/7/25

तुलसी का पत्ता क्या छोटा क्या बड़ा कहावत को चरितार्थ किया सिद्धेश्वर ने अपनी ऑनलाइन गोष्ठियों के माध्यम से : सपना चंद्रा

तुलसी का पत्ता क्या छोटा क्या बड़ा कहावत को चरितार्थ किया सिद्धेश्वर ने अपनी ऑनलाइन गोष्ठियों के माध्यम से : सपना चंद्रा

         पटना : 07/04/25 | हैलो फेसबुक अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका के पेज पर कवि गोष्ठी सह चित्रकला प्रदर्शनी गुगल मीट एवं फेसबुक के अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका के माध्यम से आयोजित किया गया। इस कवि गोष्ठी में देश-विदेश से कविगण जुड़कर इस पटल की लोकप्रियता को दर्शा रहे थे।मेरी अध्यक्षता में यह एक शानदार आयोजन रहा। बहुत ही उम्दा कविताएं, गीत, गजल एवं हास्य व्यंग्य का पुट लिए कविताएं.. इन सबके कारण यह काफी मनोरंजक कार्यक्रम सिद्ध हुआ। इस पटल के संचालक आदरणीय सिद्धेश्वर जी की निस्वार्थ भावना से किया जा रहा यह पहल अलौकिक है। उनकी टैग लाइन "तुलसी का पौधा क्या बड़ा,क्या छोटा,सभी तुलसी ही है"इसी पंक्ति को चरितार्थ करते हुए अनवरत सभी को साथ लेकर चल रहे हैं ।


साहित्य की सभी विधाओं एवं चित्रकला संगीत पर केंद्रित ऑनलाइन पाठशाला एवं सम्मेलन लगातार 4 साल से चल रहा है जो अपने आप में एक उपलब्धि है l कार्यक्रम की राष्ट्रीय उपयोगिता को देखते हुए पाक्षिक से पुनः साप्ताहिक करने पर श्रोताओं ने जोर दिया l

भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वावधान में, गूगल मीट के माध्यम से, फेसबुक के अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका के पेज पर, हेलो फेसबुक लघुकथा सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए, चर्चित लेखिका सपना चंद्रा ने उपरोक्त उद्गार व्यक्त किया l पूरे कार्यक्रम का सशक्त संचालन किया, संयोजक सिद्धेश्वर ने l संचालन के क्रम में उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य आर्थिक लाभ कमाना नहीं बल्कि सामाजिक साहित्यिक सेवा में अपना भरपूर अवदान देना है ताकि नए सृजनकर्ता को सार्थक राह मिल सके l हमारे कार्यक्रम से कई रचनाकारों को महत्वपूर्ण उपलब्धियां मिली है l हमारा उद्देश्य है सबका साथ सबका विकास !


आज के कार्यक्रम में, मिथिलेश कुमार, सपना चंद्रा, शशि भूषण बदौनी एवं सिद्धेश्वर की कलाकृतियों की अद्भुत प्रदर्शनी डिजिटल माध्यम से दिखलाई गई l तो दूसरी तरफ हांगकांग के गोपाल सिंहा, लखनऊ के राजेंद्र नाथ की संगीतमय प्रस्तुति दी गई l किंतु आज के कार्यक्रम की सबसे बड़ी उपलब्धि रही एक से बढ़कर एक कविताओं को प्रस्तुत करने वाला कवि सम्मेलन l


काव्य पाठ करने वालों में प्रमुख थे सर्वर्श्री गोपाल सिंहा, सपना चंद्रा, हजारी सिंह, सिद्धेश्वर, शंकर प्रसाद,राज प्रिया रानी, यशोधरा भटनागर, अविनाश बंधु,तेज नारायण राय, नमिता सिंह, रशीद गौरी, गंगेश गुंजन,हास्य कवि कुमार प्रकाश,इंदु उपाध्याय आदि l सभी के प्रति आभार प्रकट किया कार्यक्रम की प्रभारी राज प्रिया रानी ने l

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4/3/25

सोशल मीडिया को गंदा कर रहे हैं पैसे लेकर साहित्यिक सम्मान बांटने वाले : सिद्धेश्वर

यूट्यूब पर फिर से आरंभ है, एपिसोड सिद्धेश्वर की डायरी 

सोशल मीडिया को गंदा कर रहे हैं पैसे लेकर साहित्यिक सम्मान बांटने वाले : सिद्धेश्वर 


पटना :03/04/25 | लेखकों के बीच इस तरह रोज सैकड़ो सर्टिफिकेट यानी सम्मान पत्र  बांटने का उद्देश्य क्या है? इसे मिटाते - मिटाते हर रोज मेरी उंगलियां दुखने लगती है l मैं इसे सम्मानपूर्वक पढ़ता भी नहीं l हमारे दोस्तों,  रेवड़ी की तरह बाँटे जा रहे  ऐसे सम्मान पाकर क्या खुश होते हैं आप ? दुर्भाग्य है हमारे ऐसे साहित्यकारों का और ऐसे सम्मान पत्र बांटने वाली संस्थाओं का, जो हर रोज सोशल मीडिया को गंदा करते हैं, साहित्य को बदनाम करते हैं, साहित्यिक परिवेश  को प्रदूषित करते हैं l इसके बदले लेखकों को कलम कॉपी बाँटते तो उनका जरूर कुछ भला और सहायक होता,एवं उद्देश्य भी समझ में आता | इस तरह सम्मान बांटना क्या साहित्यकारों का अपमान नहीं ? 

             यूट्यूब के चैनल पर फिर से आरंभ हो गया है, सिद्धेश्वर की डायरी एपिसोड का नियमित प्रसारण | एपिसोड 38 अपनी डायरी का पाठ करते हुए सिद्धेश्वर ने उपरोक्त उद्गार व्यक्त किया l उन्होंने कहा कि बार-बार इस तरह का सवाल उठाने के बावजूद पता नहीं इन लोगों को शर्म क्यों नहीं आती ? अरे भाई लेखकों को सम्मान दीजिए लेकिन सम्मान की तरह, उन्हें अपमानित करने की तरह नहीं l सोशल मीडिया को गंदा करते हैं इस तरह साहित्यिक सम्मान बांटने वाले l

            अब तो सम्मान पत्र बांटने की तरह, डॉक्टरेट की डिग्रियां भी बाँटी जा रही है l हजारों रुपए खर्च कर लोग डॉक्टर की डिग्री प्राप्त कर रहे हैं l जिस डिग्री का न तो कोई महत्व है न तो सामाजिक उपयोगिता l सिर्फ अपने मित्रों से झूठी प्रशंसा, और झूठे आत्म सम्मान के सिवा आखिर उन्हें मिलता क्याहै? 

डायरी की प्रस्तुति के पश्चात 

 पत्रिकानामा के तहत इंदौर की मासिक पत्रिका वीणा के नए अंक पर समीक्षात्मक परिचय प्रस्तुत किया गया l इसके बाद महफिल के अंतर्गत दीक्षित दनकौरी, मीर, गुलजार शायरों की शायरी प्रस्तुत की गई l नए पुराने लखकों को नई दिशा देने वाला यह एपिसोड यूट्यूब चैनल पर अपनी अलग उपयोगिता के लिए पहचान बना रही है l इस एपिसोड के संयोजक सिद्धेश्वर ने बतलाया कि सोशल मीडिया पर इस तरह का कम साहित्यिक एपिसोड है जो नए पुराने लेखकों को साहित्य के बारे में विशेष जानकारी तो देती है पत्र पत्रिकाओं और पुस्तकों के बारे में भी परिचय प्रस्तुत करती है l नए पुराने रचनाकारों से छोटी मुलाकात के साथ-साथ उनकी साहित्यिक रचनाएं भी दिखाई जाती है l

[] प्रस्तुति | बीना गुप्ता |


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3/26/25

डोमिसाइल का रण (कविता)- हरे कृष्ण प्रकाश

डोमिसाइल मुद्दे पर हरे कृष्ण प्रकाश की कविता "डोमिसाइल का रण" समकालीन बिहार की उस ज्वलंत समस्या को स्वर देती है, जहां युवाओं का संघर्ष, आक्रोश और स्वाभिमान मुखर होकर सामने आता है। यह कविता न केवल एक साहित्यिक रचना है, बल्कि एक आंदोलन का घोषवाक्य बनकर समाज के हृदय को झकझोर देती है।

 शीर्षक:- डोमिसाइल का रण - हरे कृष्ण प्रकाश

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नेताओं ने हक हमारा मिटा दिया,

अपनों के घर को ही लुटा दिया,

जो डोमिसाइल को यूं रौंद गए,

माई-बापू के सपनों को तोड़ गए,

अब वही फिर क़ानून बनाएगा,

या उनका भी तक़दीर रौंदा जाएगा!


खेतों में हमने ही खून बहाया,

पिता ने घर को गिरवी रखवाया,

फिर भी हक हमारा लुटा कर,

गैरों को ही वो अपना बनाया।


अब ना झुकेंगे, ना हम रुकेंगे,

सड़कों पर बन तूफ़ान चलेंगे,

जिन हाथों ने छीना अधिकार,

वही देंगे अब न्याय का वार!


जब तक ये सांसें चलती रहेंगी,

बिहार की माटी कभी ना झुकेगी,

जो हटाया, वही फिर लगाएंगे,

डोमिसाइल का हक हमें दिलाएंगे!

✍️ सृजनकार:- हरे कृष्ण प्रकाश

        (युवा कवि, पूर्णियां)


शीर्षक :- डोमिसाइल का रण

लेखक/कवि -हरे कृष्ण प्रकाश 

संपर्क:- 9709772649 (व्हाट्सएप)

ईमेल :- harekrishnaprakash72@gmail.com 

विधा :- कविता 

कॉपीराइट :- Sahitya Aajkal 

प्रकाशित तिथि :- 26/03/25

संदर्भ :- #बिहार_मांगे_डोमिसाइल


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समीक्षा आलेख:

शीर्षक: डोमिसाइल का रण: युवाओं के संघर्ष की गूंज

कवि: हरे कृष्ण प्रकाश

विधा: कविता

संदर्भ: #बिहार_मांगे_डोमिसाइल

✍️ भूमिका:

कविता साहित्य का वह सशक्त माध्यम है, जो समाज की संवेदनाओं, आक्रोश और उम्मीदों को अभिव्यक्त करता है। हरे कृष्ण प्रकाश की कविता "डोमिसाइल का रण" समकालीन बिहार की उस ज्वलंत समस्या को स्वर देती है, जहां युवाओं का संघर्ष, आक्रोश और स्वाभिमान मुखर होकर सामने आता है। यह कविता न केवल एक साहित्यिक रचना है, बल्कि एक आंदोलन का घोषवाक्य बनकर समाज के हृदय को झकझोर देती है।

कविता की विषयवस्तु:

यह कविता डोमिसाइल नीति के इर्द-गिर्द रची गई है, जो बिहार के युवाओं के हक और अधिकार की मांग को बुलंद करती है। इसमें नेताओं की दोहरी नीतियों, अपनों के साथ हुए विश्वासघात और संघर्ष की भावना को बड़े ही प्रभावी ढंग से व्यक्त किया गया है।

प्रथम छंद: नेताओं के छल और जनता के अधिकारों के हनन की पीड़ा को अभिव्यक्त करता है:

"नेताओं ने हक हमारा मिटा दिया,

अपनों के घर को ही लुटा दिया।"

ये पंक्तियां राजनीतिक विश्वासघात को उजागर करती हैं।


द्वितीय छंद: किसानों और युवाओं की मेहनत, बलिदान और उनके छले जाने का चित्रण करती है:

"खेतों में हमने ही खून बहाया,

पिता ने घर को गिरवी रखवाया।"

इन पंक्तियों में उस दर्द को व्यक्त किया गया है, जहां अपने ही हक से वंचित होने का आक्रोश है।


तृतीय छंद: युवाओं के संघर्ष और संकल्प का घोषणापत्र बनकर सामने आता है:

"अब ना झुकेंगे, ना हम रुकेंगे,

सड़कों पर बन तूफ़ान चलेंगे।"

ये पंक्तियां युवाओं के आंदोलनकारी तेवर को दर्शाती हैं।


चतुर्थ छंद: विजय और न्याय का उद्घोष करती है:

"जब तक ये सांसें चलती रहेंगी,

बिहार की माटी कभी ना झुकेगी।"

इन पंक्तियों में युवाओं का अडिग संकल्प और मातृभूमि के प्रति समर्पण झलकता है।

 काव्य सौंदर्य:

1. भाषा और शैली:

कविता की भाषा सहज, प्रवाहपूर्ण और ओजस्वी है।

सरल शब्दों में गहरी संवेदना को व्यक्त किया गया है, जिससे यह आमजन की भावना को सहजता से छूती है।

2. प्रतीक और बिंब:

"खेतों में हमने ही खून बहाया" – यह पंक्ति किसानों के परिश्रम और संघर्ष का प्रतीक है।

"सड़कों पर बन तूफ़ान चलेंगे" – यह पंक्ति आंदोलन की तीव्रता और जनसैलाब की शक्ति को दर्शाती है।

3. तुकबंदी और लय:

कविता में तुकबंदी सटीक और प्रभावशाली है, जो इसे कर्णप्रिय और मंचीय पाठ के लिए उपयुक्त बनाती है।

जैसे:

"अब ना झुकेंगे, ना हम रुकेंगे,

सड़कों पर बन तूफ़ान चलेंगे।"

दोहराव का प्रयोग कविता को और अधिक प्रभावी बनाता है।

 कविता की विशेषताएँ:

* समकालीन मुद्दे पर आधारित:

यह कविता बिहार के युवाओं के संघर्ष और डोमिसाइल नीति की मांग को बुलंद करती है, जो इसे अत्यंत प्रासंगिक बनाती है।

* ओजपूर्ण शैली:

कविता में ओजस्वी और संघर्षशील भाषा का प्रयोग किया गया है, जो पाठकों को झकझोरने का काम करती है।

* आंदोलनकारी स्वर:

कविता में आक्रोश, पीड़ा और संकल्प का स्वर स्पष्ट रूप से मुखर होता है, जो इसे एक प्रभावी जनकविता का रूप देता है।

* भावनात्मक अपील:

"पिता ने घर को गिरवी रखवाया" जैसी पंक्तियाँ पाठकों को भावुक कर देती हैं और उनकी संवेदनाओं को जागृत करती हैं।

📝 समीक्षा निष्कर्ष:

हरे कृष्ण प्रकाश की कविता "डोमिसाइल का रण" न केवल एक भावनात्मक कविता है, बल्कि यह युवाओं के संघर्ष और संकल्प का घोषणापत्र भी है। इसमें सामाजिक अन्याय के खिलाफ एक हुंकार है, जो पाठकों को आंदोलित करने का सामर्थ्य रखती है।

* कविता की सशक्त भाषा, भावनात्मक अपील और ओजस्वी शैली इसे न केवल मंचीय पाठ के लिए उपयुक्त बनाती है, बल्कि यह एक आंदोलन का प्रतीक बनकर जनमानस को झकझोरने का कार्य भी करती है।

✅ कविता का संदेश:

"डोमिसाइल का रण" युवाओं की आवाज़ है, जो संघर्ष, साहस और न्याय का प्रतीक बनकर उनके हक की लड़ाई में एक शंखनाद करती है।

👏 यह कविता अपने ओजपूर्ण स्वर और सशक्त भाषा के कारण पाठकों के मन में एक स्थायी प्रभाव छोड़ती है।