4/2/20

राम जन्म स्तुति- भय प्रकट कृपाला, दीनदयाल By- हरे कृष्ण प्रकाश

                         राम जन्म स्तुति 
                 भय प्रकट कृपाला, दीनदयाल
                       

भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी॥


लोचन अभिरामा, 
तनु घनस्यामा, 
निज आयुध भुज चारी।
भूषन वनमाला, 
नयन बिसाला, 
सोभासिंधु खरारी।।

कह दुइ कर जोरी, अस्तुति तोरी,
केहि बिधि करूं अनंता।
माया गुन ग्यानातीत अमाना,
वेद पुरान भनंता॥

करुना सुख सागर, 
सब गुन आगर, 
जेहि गावहिं श्रुति संता।
सो मम हित लागी, 
जन अनुरागी, 
भयौ प्रकट श्रीकंता।।

ब्रह्मांड ‍निकाया, 
निर्मित माया, 
रोम रोम प्रति बेद कहे।
मम उद सो बासी, 
यह उपहासी, 
सुनत धीर मति थिर न रहे।।

उपजा जब ग्याना, 
प्रभु मुसुकाना, 
चरित बहुत बिधि कीन्ह चहे।
कहि कथा सुहाई, 
मातु बुझाई, 
जेहि प्रकार सुत प्रेम लहे।।

माता पुनि बोली, सो मति डोली,
तजहु तात यह रूपा।
कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला,
यह सुख परम अनूपा॥

सुन बचन सुजाना, 
रोदन ठाना, 
होई बालक सुरभूपा।
यह चरित जे गावहि, 
हरिपद पावहि, 
तेहि न परहिं भवकूपा।।

भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी॥
॥इति श्रीरामावतार स्तोत्र संपूर्णम्‌॥
।।जय जय श्री राम।।

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