शेयर बाजार की आड़ में जदयू युवा प्रदेश सचिव ने की करोड़ो की ठगी , सैकड़ो सिमकार्ड, खाते में 7 करोड़ रूपये , मोबाइल लेपटॉप हुए बरामद ।
बिहार आर्थिक अपराध इकाई ( EOU ) ने दूरसंचार विभाग के साथ मिलकर इस काम को अंजाम दिया । यह एक बहुत बड़ा साइबर क्राइम सिंडिकेट था जिसका पर्दाफाश EOU ने किया है । हर्षित कुमार या हर्षित मिश्रा सत्तारूढ़ दल जदयू के युवा प्रकोष्ठ का प्रदेश सचिव है ।
ईओयू पटना की टीम ने सुपौल जिले के करजाइन थाना क्षेत्र के गोसपुर गांव में बड़ी कार्रवाई करते हुए गांव के युवक हर्षित मिश्र को गिरफ्तार किया है। इनका परिवार किसानी करता है। हर्षित मिश्रा खुदको शेयर बाजार में काम करनेवाला बताता था । बताया जा रहा है कि यह करोड़ों की ठगी और साइबर अपराध से जुड़ा हुआ मामला है। अभी तक कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं ।
हर्षित मिश्रा के पास से क्या क्या हुआ बरामद :
हर्षित के अकाउंट में 7 करोड़ रुपए आए थे । अधिकारियों की टीम ने शनिवार को दोपहर 2 बजे छापेमारी शुरू की और करीब पूरे एक दिन तक चली कार्रवाई में हर्षित के घर से दर्जनों सिम लगाने वाला गैजेट, सैकड़ों सिम कार्ड, दर्जनों मोबाइल, लैपटॉप, बायोमेट्रिक डिवाइस, नोट गिनने की मशीन के साथ कई अन्य सामान भी बरामद किए गए। हर्षित से पूछताछ करने पर उसने उस मोबाइल , लैपटॉप के बारे में भी जानकारी दी जिसमें बैंक खाता का विवरण था जिसमें 7 करोड़ रुपये जमा थे। यह खाता पहले ही साइबर पुलिस ने फ्रीज कर दिया था। इसी आधार पर टीम ने कार्रवाई की है। इस कार्रवाई में ईओयू पटना की टीम के करीब तीन दर्जन सदस्य, सुपौल एसपी और साइबर थाना के अधिकारी शामिल थे। कार्रवाई के दौरान ईओयू और स्थानीय पुलिस ने मीडिया से कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। पूछताछ और कागजी प्रक्रिया के बाद हर्षित को पटना ले जाया गया। इसको लेकर करजाईन थानाध्यक्ष लालजी प्रसाद ने बताया कि मामला आर्थिक इकाई का है। इससे पहले उसका किसी प्रकार की अपराधिक इतिहास इस थाने में दर्ज नहीं है।
शेयर बाजार में काम करने के लिए अपने पिता से जमीन बिकवाकर लिया था रुपया
स्थानीय लोगों के मुताबिक, हर्षित 27 साल का है जिनके पिता विकास मिश्र है । पिता किसान हैं। दादा घनश्याम मिश्र पंचायत के मुखिया रह चुके हैं। पहले परिवार के पास 50 बीघा से ज्यादा जमीन थी, जो धीरे-धीरे बिक गई। पढ़ाई के लिए हर्षित को फारबिसगंज और फिर पटना भेजा गया। तीन साल पहले हर्षित ने पिता से जमीन बिकवाकर शेयर ट्रेडिंग के नाम पर पैसे लिए। इसके बाद वह कभी-कभी गांव आता था। पूरे गाँव मे उसके कामकाज की किसी को भी कोई जानकारी नहीं थी। लोगों ने आगे बताया कि वह पहले भाजपा में जब था तो स्कोर्पियो गाड़ी में सुरक्षाबल के साथ चलता था जिससे हमलोगों को लगा कि शेयर बाजार में बहुत रुपया कमाया है । भाजपा के बाद वह जदयू में शामिल हुए और अचानक उसे युवा प्रदेश सचिव बना दिया गया ।
हर्षित के पिता ने इसे राजनीतिक साजिश बताया
हर्षित के पिता विकाश मिश्र ने बताया कि उनका बेटा 4 साल से गाँव मे रहकर रियल एस्टेट का धंधा कर रहा है । उसका इन साइबर फर्जी से कोई लेना देना नही है । जब से उसे जदयू का प्रदेश सचिव बनाया गया है तबसे ही कुछ लोग राजनीतिक साजिश के तहत उसे फँसाना चाहते थे।
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