बिहार में सरकारी नौकरी में 100% डोमिसाइल की उठी मांग! TRE-4 पर सरकार गंभीर, शिक्षा मंत्री ने लीगल ओपिनियन लिया
विशेष संवाददाता | साहित्य आजकल।
बिहार की राजनीति और प्रशासनिक हलकों में इस समय सबसे ज़्यादा चर्चा "डोमिसाइल नीति" को लेकर है। शिक्षक भर्ती परीक्षा TRE-4 के माध्यम से उठे इस मुद्दे ने अब एक राज्यव्यापी जनआंदोलन का रूप ले लिया है। बिहार के लाखों युवाओं की एक ही मांग है — “राज्य की हर सरकारी नौकरी में 100% डोमिसाइल अनिवार्य किया जाए।”
इस मांग को लेकर सोशल मीडिया पर अभूतपूर्व अभियान चल रहा है। ट्विटर (एक्स) से लेकर फेसबुक और यूट्यूब तक, हर जगह युवा अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं।
डोमिसाइल को लेकर युवाओं में गुस्सा, TRE-4 बना चिंगारी
TRE-4 (Teachers Recruitment Exam – 4) ने इस मुद्दे को तूल दे दिया। जैसे ही यह खबर आई कि शिक्षक बहाली में बिहार के बाहर के अभ्यर्थी भी शामिल हो रहे हैं, बिहार के छात्र संगठनों और बेरोज़गार युवाओं में गहरा असंतोष पैदा हुआ। सैकड़ों सोशल मीडिया पेज, चैनल और छात्र समूह एक ही आवाज़ में बोल उठे: "जब हमारी पढ़ाई बिहार में, हमारी बेरोज़गारी बिहार की — तो नौकरियाँ भी हमारी होनी चाहिए!" वोट दे बिहारी नौकरी करे बाहरी क्यों???
#बिहार_मांगे_डोमिसाइल जैसे हैशटैग एक के बाद एक ट्रेंड करने लगे। युवाओं ने साफ़ कहा कि अब बिहार में सभी सरकारी नौकरियों में डोमिसाइल नीति अनिवार्य होनी चाहिए।
शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने लिया लीगल ओपिनियन
बिहार सरकार इस आंदोलन को अब हल्के में नहीं ले रही। शिक्षा मंत्री प्रो. सुनील कुमार ने खुलकर स्वीकार किया कि TRE-4 में डोमिसाइल की मांग पूरी तरह न्यायोचित और गंभीर है। उन्होंने प्रेस से बातचीत में कहा: "हम इस विषय पर विधिक राय (Legal Opinion) ले रहे हैं। सरकार युवाओं के भविष्य को लेकर प्रतिबद्ध है।"
सूत्रों के अनुसार, विभागीय स्तर पर एक विशेष टीम बनाई गई है जो संविधान, न्यायालयों के पुराने निर्णय और अन्य राज्यों की डोमिसाइल नीतियों का अध्ययन कर रही है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घोषणा से जागी उम्मीद
TRE-4 विवाद के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वयं ट्वीट करते हुए कहा: "राज्य के युवाओं की नौकरी के हक़ को लेकर सरकार संवेदनशील है। TRE-4 की प्रक्रिया की गहन समीक्षा की जा रही है। छात्रों की भावनाओं का सम्मान किया जाएगा।" मुख्यमंत्री का यह बयान सीधे तौर पर यह संकेत देता है कि सरकार इस बार कोई ठोस कदम उठा सकती है।
डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा भी सक्रिय
उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने ट्वीट कर युवाओं को आश्वस्त किया कि: "TRE-4 से जुड़ी युवाओं की हर मांग पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। हम युवाओं की आकांक्षाओं के साथ हैं।"
वहीं डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने भी स्पष्ट कहा:
> "राज्य के युवाओं को उनका हक़ मिलेगा। हम डोमिसाइल पर निर्णय के बिल्कुल करीब हैं। मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में यह सरकार युवाओं की सरकार है।"
अन्य राज्यों में डोमिसाइल: बिहार क्यों पीछे?
देश के कई राज्यों में डोमिसाइल नीति पहले से लागू है, जैसे महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, हरियाणा और झारखंड। वहां स्थानीय निवास प्रमाणपत्र के बिना किसी बाहरी उम्मीदवार को सरकारी नौकरी मिलना लगभग असंभव है। ऐसे में बिहार के युवाओं का यह सवाल बिल्कुल जायज़ है:
"जब अन्य राज्यों ने अपने युवाओं को प्राथमिकता दी है, तो बिहार क्यों नहीं?
📌 निष्कर्ष: क्या 100% डोमिसाइल अब होगा बिहार में लागू?
TRE-4 ने एक नया सामाजिक दबाव और राजनीतिक चेतना पैदा की है। सरकार के शीर्ष नेतृत्व से लेकर प्रशासन तक, सभी इस पर सक्रिय दिख रहे हैं। यदि शिक्षा मंत्री की कानूनी राय सकारात्मक रहती है, तो बहुत जल्द बिहार में सभी सरकारी नौकरियों में डोमिसाइल लागू किया जा सकता है।
साहित्य आजकल की राय:
बिहार के युवाओं को अब सिर्फ़ बयान नहीं, आदेश चाहिए।
TRE-4 के बहाने उठी यह आवाज़, पूरे राज्य में "रोज़गार में न्याय" की मांग बन चुकी है।
सरकार को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि बिहार की नौकरियाँ सिर्फ बिहार के युवाओं को मिलें।
✍️ रिपोर्ट: साहित्य आजकल न्यूज़ टीम
📌 अपडेटेड: 17 जुलाई 2025
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