साहित्यिक खबर:-
सभक मंच द्वारा आयोजित हुई पूर्णिया पॉमोडी
पूर्णिया शहर के स्थानीय टाउन हॉल परिसर में सभक मंच द्वारा पूर्णिया पॉमोडी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में खाद एवं उपभोक्ता मंत्री लेसी सिंह, पूर्णियां कॉलेज पूर्णियां प्रधानाचार्य डॉ शंभू कुशाग्र, प्रोफेसर डॉ वी. एन सिंह, समाजसेवी अनंत भारती, प्रेस क्लब पूर्णियां के अध्यक्ष नंद किशोर सिंह, वरिष्ठ साहित्यकार गिरजानन्द मिश्र, डॉ के के चौधरी, संजय सनातन, लोकनर्तक अमित कुंवर, कॉमेडियन राज सोनी शामिल थे। उक्त कार्यक्रम की अध्यक्षता शम्भू कुशाग्र कर रहे थे। वहीं मंच संचालन युवा कवि हरे कृष्ण प्रकाश व रितेश कुमार ने संयुक्त रूप से किया।
कार्यक्रम में मंत्री लेसी सिंह ने कहा कि साहित्य की राह पकड़ समाज को बेहतर संदेश देने वाले इन तमाम युवाओं को बधाई साथ ही उन्होंने कहा कि जहां लोग आज के समय मोबाइल में व्यस्त रहते हैं वहीं इस कार्यक्रम में साहित्यप्रेमी पहुंचे हैं यह गर्व की बात है। अंत में साहित्यकारों को इस तरह कार्यक्रम निरंतर आयोजित करने को ले प्रेरित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्णिया कॉलेज पूर्णियां के प्रधानाध्यापक डॉ शम्भू कुशाग्र ने कहा कि साहित्य समाज की दर्पण है और इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन से समाज को नई दिशा मिलती रहेगी। साहित्य चाहे किसी भी विधा में हो लिखना आसान नहीं। आज के नवोदित साहित्यकार ही कल की साहित्यिक धरोहर है। उन्होंने कहा कि समाज अभी जिस ओर बढ़ रही है उसे साहित्य ही सही राह दिखा सकती है। वहीं कार्यक्रम में युवाओं को संबोधित करते हुए डॉ. वी एन सिंह ने कहा कि ये कार्यक्रम कल्पनाओं को हकीकत में बदलने की कोशिश है। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया ।
इस कार्यक्रम में तमाम साहित्यकारों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी। जिसमें रानी सिंह ने मां जब मुस्कुराती है, अंशु अजय चरैया ने हे कृष्ण तुम आओ जरा सुदर्शन तो उठाओ जरा पाप ही पाप है बढ़ गया, सुदर्शन तो उठाओ जरा, पर काव्य पाठ कर ढेरों तालियां बटोरी। वहीं युवा कवि हरे कृष्ण प्रकाश ने अल्हड़ सी इस दुनियां में रहते हैं कई लोग, हिंदी के हैं हम दीवानें, हिंदी के हैं कई अफसाने से अपनी बेहतरीन प्रस्तुति दी। प्रिया सिंह ने कोई पागल है दुनियां में, रितेश कुमार ने वो जब हंसती है सावन से अपनी प्रस्तुति दी, अखिल आनंद ने उनके लिए बेचैन नही हूँ पर थोड़ी बेचैनी होती, हमेशा नही कभी कभी,