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हिम्मत न हार.. (ग़ज़ल)- सुल्तान अली

 हिम्मत न हार.. ग़ज़लकार  -{सुल्तान अली} 

           


हौसला रख मुश्किलों का सामना भी कर जायेंगे 

ये जो दौर है इस दौर से भी इक दिन गुज़र जायेंगे 


वो अपनेपन की मिसाल देकर फिर ज़ख़्म दे गया 

मगर ये ज़ख़्म भी उन ज़ख़्मों की तरह भर जायेंगे 


अनजान शहर में गाँव की याद सताती है अक्सर 

मिले फ़ुर्सत इस भाग दौड़ से तो अपने घर जायेंगे 


मैंने ख़ुद को बचाकर रखा इस ज़माने की बदल से 

हिम्मत न हार मैदान में आए हैं तो जीतकर जायेंगे 


ये कश्ती ज़िंदगी की साहिल पर आएगी 'सुल्तान'

हिम्मत रख उफनती लहरों को भी पार कर जायेंग

  सुल्तान अली 

 शिक्षक ( उत्तरप्रदेश) 

   अलीगढ़ - 202002

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    हरे कृष्ण प्रकाश 

  (युवा कवि, पूर्णियां बिहार)

   (साहित्य आजकल व साहित्य संसार)



                                      

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